फिलिस्तीन के समर्थन में इस्राईल समेत अमेरिका और उसके घटकों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले यमन ने इस्राईल और अमेरिका को भारी चोट पहुंचाई है और इस बात की स्वीकारोक्ति खुद अमेरिका ने की है।
फ़िलिस्तीनी लोगों के विरुद्ध ज़ायोनी शासन के क्रूर हमलों के जारी रहने के कारण, अंसारुल्लाह यमन ने एक बार फिर ज़ायोनी शासन से संबद्ध जहाजों को निशाना बनाया है। इस कदम से तल अवीव और उसके करीबी सहयोगी, संयुक्त राज्य अमेरिका पर भारी वित्तीय बोझ पड़ा है।
इस संबंध में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने कहा कि अंसारुल्लाह के हमलों के कारण अमेरिकी ध्वज वाले तीन-चौथाई जहाजों ने लाल सागर से गुजरने से परहेज किया है और इसके बजाय दक्षिण अफ्रीका के लंबे और महंगे मार्ग को चुना है।
उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि 75 प्रतिशत अमेरिकी जहाज अब स्वेज नहर के बजाय दक्षिण अफ्रीका के तट से गुजरने को मजबूर हैं।
उन्होंने कहा कि जब हमारा एक युद्धपोत यमन के पास समुद्री क्षेत्र से गुजरा तो उस पर 23 बार हमला किया गया।
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