14 दिसंबर 2025 - 14:54
यमन की अमीराती मिलिशिया और इस्राईल के बीच गहरे रिश्ते 

अंग्रेजी पत्रिका 'द टाइम्स' ने खुलासा किया है कि यमन सरकार और लोकप्रिय जनांदोलन अंसारूल्लाह से लड़ रहे दक्षिणी यमन के अमीरात समर्थित गुट और ज़ायोनी सरकार के बीच गहरे संबंध हैं।

द टाइम्स'  की  रिपोर्ट के अनुसार, अदन में स्थित प्रेसीडेंशियल लीडरशिप काउंसिल (पीएलसी) के तत्वों और इजराइल ज़ायोनी सरकार के बीच संबंध हैं और वे सनआ के खिलाफ साझा लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं।
विवरण के अनुसार, 'द टाइम्स' ने अपनी रिपोर्ट में संबंधों का खुलासा करते हुए कहा है कि दक्षिणी प्रेसीडेंशियल लीडरशिप काउंसिल के नेता ज़ायोनी अधिकारियों से मुलाकातें कर चुके हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अदन की काउंसिल दक्षिणी यमन की तत्काल स्वतंत्रता के बदले में इस्राईल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए अमेरिकी समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही है।
'द टाइम्स' ने कहा कि यमन में यह अलगाववादी योजना सऊदी और अमीराती प्रभाव के माध्यम से एक दीर्घकालिक राजनीतिक योजना का हिस्सा है। इस योजना में ज़ायोनी सरकार के साथ संबंध स्थापित करना भी शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिणी यमन के विद्रोही तत्व इस्राईल को राजनीतिक और सुरक्षा सेवाएं प्रदान करने के लिए तैयार हैं और इसके बदले बाहरी समर्थन प्राप्त कर रहे हैं ताकि अपनी राजनीतिक स्थिरता को मजबूत कर सकें।
विश्लेषकों का कहना है कि क्षेत्र में तनाव की हर घटना संयोग नहीं बल्कि इस्राईल के हितों के अनुसार दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है, क्योंकि इस्राईल यमन को प्रतिरोधी समूह का हिस्सा मानता है और सनआ की स्थिरता और बढ़ती क्षमताओं को अपने लिए सीधा खतरा मानता है।
रिपोर्ट के अनुसार इस्राईल स्थानीय विद्रोही तत्वों को शामिल करके अपने सुरक्षा और राजनीतिक एजेंडे को लाल सागर और दक्षिणी यमन में लागू करना चाहता है।

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