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तस्वीरी रिपोर्ट, ग़ज़्ज़ा निवासियों का उत्तर से दक्षिण की ओर पलायन।
ज़ायोनी शासन की ओर से ग़ज़्ज़ा शहर के दक्षिणी इलाके ज़ैतून पर भारी बमबारी के कारण कई फ़िलिस्तीनी परिवारों को मजबूरन ग़ज़्ज़ा पट्टी के उत्तरी हिस्से से दक्षिण की ओर पलायन करना पड़ा।
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तस्वीरी रिपोर्ट, कर्बला में विभिन्न देशों के उल्मा ने विश्व अहलेबैत परिषद के महासचिव से मुलाक़ात की।
कर्बला में विभिन्न देशों के उल्मा विश्व अहलेबैत परिषद के महासचिव से मुलाक़ात की।
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तस्वीरी रिपोर्ट - चेहलुम के अवसर पर करबला के कुछ अनोखे द्रश्य।
करबला में चेहलुम की शब करबला में जमा जाएरीन की कुछ तस्वीरें
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अमेरिका, मुस्लिम समाज पढ़ाई में सबसे आगे, पिछड़ गए ईसाई
44 प्रतिशत अमेरिकी मुस्लिमों के पास कॉलेज डिग्री है, जबकि 25 प्रतिशत से ज़्यादा के पास पोस्टग्रेजुएट डिग्री है। यह आंकड़ा ईसाइयों में 14 फीसद और धर्मनिरपेक्ष लोगों 16% की तुलना में काफी ज्यादा है।
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इमाम हुसैन (अ.स.) पर रोना बेहतरीन नेकी
अक्ल इंसान को तीन अहम सवालों की ओर ले जाती है: हम कहाँ से आए हैं? हम कहाँ जा रहे हैं? और हम किस रास्ते पर हैं? जब इंसान इन सवालों पर विचार करता है, तभी वह सत्य और प्रगति की ओर बढ़ता है।
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ज़ियारते अरबईन की अहमियत
ज़ियारते अरबईन का महत्व इस लिए नहीं है कि वह मोमिन की निशानियों में से हैं बल्कि इस रिवायत के अनुसार चूँकि ज़ियारते अरबईन वाजिब और मुस्तहेब नमाज़ें की पंक्ति में आई है, इस आधार पर जिस प्रकार नमाज़ दीन का स्तंभ है, उसी प्रकार ज़ियारते अरबईन और कर्बला की घटना भी दीन का स्तंभ है।
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हुसैन सब के हैं !
हम शियों को गर्व है कि हम इमाम हुसैन के अनुयायी हैं, लेकिन इमाम हुसैन सिर्फ़ हमारे नहीं हैं, अलग-अलग इस्लामी संप्रदाय, शिया और सुन्नी सभी इमाम हुसैन के बैनर तले इकट्ठा होते हैं।
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हुसैनी क़ाफ़िले के साथ,आठवी मोहर्रम
अगर तुम अपने आप को मुसलमान समझते हो तो क्यों पैग़म्बर (स) के परिजनों पर टूट पड़े हो और उनकी हत्या का इरादा कर रखा है और फ़ुरात के पानी को जिससे जानवर भी पी रहे हैं उनसे रोक रखा है?
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हुसैनी क़ाफ़िले के साथ، छठी मोहर्रम
क़बीले के 90 आदमी इमाम हुसैन की सहायता के लिये चल पड़े, लेकिन बीच में ही एक आदमी ने उमरे सअद से जासूसी कर दी जिसके बाद उमरे सअद ने अरज़क़ नाम के व्यक्ति के साथ 400 सैनिकों को भेजा, रास्ते में ही दोनों सेनाओं में युद्ध हुआ
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हुसैनी काफ़िले के साथ, पाँचवी मोहर्रम
अगरचे उबैदुल्लाह बिन ज़ियाद ने इमाम हुसैन (अ.) की तरफ़ पहुँचने वाले सारे रास्तों पर नाकेबंदी कर रखी थी और उसको पूरी कोशिश यह थी कि कोई भी इमाम हुसैन (अ.) की सेना में शामिल न हो सके लेकिन फिर भी पाँच मोहर्रम को “आमिर बिन अबी सलामा” नामक एक व्यक्ति इमाम हुसैन (अ.) तक पहुँचने में कामयाब रहा
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हुसैनी क़ाफिले के साथ चौथी मोहर्रम
“हे लोगों! तुम लोगों ने अबू सुफ़ियान के ख़ानदान को आज़माया और जैसा तुम चाहते थे उनको वैसा पाया! यज़ीद को तो तुम पहचानते हो वह अच्छे व्यवहार वाला, नेक और अपने नीचे काम करने वालों पर एहसान करने वाला और उनकी अताएं बजा हैं! और उनका बाप भी ऐसा ही था!
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मोहर्रम
इमाम हुसैन की ज़ियारत का सवाब
जो आदमी इमाम ह़ुसैन (अ.स) के क़ब्र की ज़ियारत किये बिना मर जाये उसका दीन व ईमान अधूरा है। और अगर जन्नत में चला भी जाये तो उसका दर्जा सभी मोमिनों से नीचे रहेगा।
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हज़रत ज़हरा और वालेदैन का सम्मान
आप हमेशा अपने वालिद की मर्ज़ी को ही अपनी मर्ज़ी समझती थीं और अपने वालिद की ख़ुशी के लिए अपने लिबास, घर के ज़रूरी सामान, गले का हार, हाथों के कड़े और यहां तक कि बच्चों के ज़रूरी सामान भी अल्लाह की राह में ग़रीब और फ़क़ीर मुसलमानों को दे दिया करती थीं।
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हज़रत फातिमा ज़हरा इनसाइक्लोपीडिया का विमोचन
फातिमा, क़ुरान, सुन्नत, इतिहास और साहित्य के आईने में नामक इस इनसाइक्लोपीडिया की 40 जिल्दें हैं जो उनके जीवन का विवरण दर्ज करने वाला अपनी तरह का सबसे बड़ा विश्वकोश है।
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जनाबे सकीना के रौज़े का दौरा करने पहुंचे HTS के कमांडर, सुरक्षा का यकीन दिलाया + वीडियो
तहरीरुश्शाम के कमांडरों के एक दल ने जनाबे सकीना स.अ. के रौज़े का दौरा करते हुए जिम्मेदारी अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हे सुरक्षा का आश्वासन दिया।
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नसरुल्लाह, इमामे ज़माना का सच्चा सिपाही
शहादत का अर्थ केवल अपनी जान देना नहीं है, बल्कि यह उस सिद्धांत के लिए जीना है, जिसमें इंसानियत और इंसाफ की बात हो। उनके अनुयायियों का यह विश्वास है कि अगर नसरुल्लाह शहीद भी हो जाएं, तो उनकी विचारधारा और उनका संघर्ष कभी नहीं रुकेगा। वह अपने अनुयायियों को सिखाते हैं कि शहादत हार नहीं है, बल्कि यह जुल्म के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत बनाती है।
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लखनऊ, सय्यद हसन नस्रुल्लाह की शहादत पर शोक सभा। तस्वीरें
लखनऊ सरफ़राज़गंज में सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत की सूचना मिलने के कुछ देर बाद क्षेत्र की महिलाऐं मौला अली अलै. के रौज़े में एकत्र हुईं और मोमबत्ती जला कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस सभा में आलिमाओं ने संवेदना व्यक्त करते हुए उनके बलिदान के बारे में बताया अंत में दुआओं के साथ सभा सम्पन्न हुई।
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आयतुल्लाह सीस्तानी के दफ्तर से सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर जारी ताज़ियती पैग़ाम
इराक़ को आतंकवादी संगठन आई.एस.आई.एस के चंगुल से मुक्त करने में इराक़ के लोगों का पूरी ताक़त से साथ दिया और उनका समर्थन किया। उन्होंने फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों की मदद करने में भी शानदार भूमिका निभाई और आख़िरकार अपना क़ीमती जीवन बलिदान कर दिया।