30 जून 2025 - 17:03
हुसैनी क़ाफिले के साथ चौथी मोहर्रम 

“हे लोगों! तुम लोगों ने अबू सुफ़ियान के ख़ानदान को आज़माया और जैसा तुम चाहते थे उनको वैसा पाया! यज़ीद को तो तुम पहचानते हो वह अच्छे व्यवहार वाला, नेक और अपने नीचे काम करने वालों पर एहसान करने वाला और उनकी अताएं बजा हैं! और उनका बाप भी ऐसा ही था!

आज ही के दिन इब्ने ज़्याद ने क़ाज़ी शुरैह से इमाम हुसैन {अ.स} के क़त्ल का फ़तवा लिया और उसके बाद मस्जिदे कूफ़ा में लोगों के सामने ख़ुत्बा दिया और लोगो को इमाम हुसैन {अ.स} के साथ लड़ने और उनकी हत्या करने के लिए प्रेरित किया । इब्ने ज़्याद अपने ख़ुत्बे में कहता है “हे लोगों! तुम लोगों ने अबू सुफ़ियान के ख़ानदान को आज़माया और जैसा तुम चाहते थे उनको वैसा पाया! यज़ीद को तो तुम पहचानते हो वह अच्छे व्यवहार वाला, नेक और अपने नीचे काम करने वालों पर एहसान करने वाला और उनकी अताएं बजा हैं! और उनका बाप भी ऐसा ही था! अब यज़ीद ने मुझे आदेश दिया है कि लोगों के बीच पैसा बाटूं और तुमको उसके दुश्मन हुसैन {अ.स} से युद्ध के लिए भेजूँ” (अलवक़ाए वल हवादिस, जिल्द 2, पेज 124) 

उसके बाद इब्ने ज़्याद ने आदेश दिया कि पूरे शहर में ढिंडोरा पिटवाया जाए और लोगों को जंग के लिये तैयार किया जाए। इब्ने ज़्याद के ख़ुत्बे के बाद तेरह हज़ार लोग इमाम हुसैन {अ.स} के विरुद्ध युद्ध के लिये तैयार हुए जिनको इस प्रकार से सेना में बांटा गया

1. शिम्र 4000 सैनिक

2. यज़ीद बिन रकाब 2000 सैनिक

3. हसीन बिन नुमैर 4000 सैनिक

4. मुज़ाएर बिन रहीना 3000 सैनिक

आज ही के दिन जब क़ैस बिन अशअस ने इमाम हुसैन {अ.स} से यज़ीद की बैअत करने के लिए कहा तो आपने उत्तर में फ़रमायाः “न, ख़ुदा की क़सम! न मैं ज़िल्लत का हाथ उनके हाथों में दूँगा और न ही गुलामों की भाति जंग के मैदान से भागूँगा”।  {बेहारुल अनवार जिल्द 44, पेज 386}

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