AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : अबना
रविवार

7 दिसंबर 2014

7:49:02 am
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अहलेबैत (अ) वर्ल्ड एसेंबली ने सऊदी सरकार को चेताया।

अहलेबैत (अ) वर्ल्ड एसेंबली ने तकफीरिय वहाबियों को मक्का शहर में पैगम्बर अकरम के जन्म स्थान को ध्वस्त किए जाने की योजना के बारे में चेतावनी दी है।

अहले बैत (अ) समाचार एजेंसी अबना की रिपोर्ट के अनुसार अहलेबैत (अ) वर्ल्ड एसेंबली ने तकफीरिय वहाबियों को मक्का शहर में पैगम्बर अकरम के जन्म स्थान को ध्वस्त किए जाने की योजना के बारे में चेतावनी दी है।
अहलेबैत (अ) वर्ल्ड एसेंबली ने एक बयान जारी करके सऊदी अरब सरकार को चेतावनी दी कि वह कभी पैगम्बर अकरम (स।) के जन्म स्थान को ध्वस्त करने की कोशिश न करें, वर्ल्ड एसेंबली  के बयान में आया है कि सऊदी अरब की सरकार वहाबी उल्मा के फतवों की आड़ में इस देश में पाए जाने वाली इस्लामी निशानियाँ, अल्लाह के वलियों के मज़ारों, और सहाबा के मज़ारों को ध्वस्त करती ही आई है लेकिन अब वह पैग़म्बरे इस्लाम (स।) के जन्म स्थान को भी ध्वस्त कर उसकी जगह शाही महल बनाने की योजना बना रही है।
बयान में आया है कि आले सऊद ने अपने शासनकाल में 95 इस्लामी और ऐतिहासिक निशानियों को मिटा दिया है और इन स्थानों पर बड़े-बड़े होटल और शॉपिंग मॉल बना दिए हैं जबकि मस्जिदुल हराम के विस्तार के बहाने पैगम्बर अकरम (स।) से जुड़ी सभी निशानियों को मिटा दिया है।
वर्ल्ड एसेंबली  ने अपने बयान में ताकीद की है कि रसूल अकरम (स।) के जन्म स्थान को ध्वस्त करने का मतलब यह है कि इस्लाम के ऐतिहासिक एवम् महत्वपूर्ण निशान को मिटा दिया जाए और यह ऐसी प्रक्रिया है जिससे सभी मुसलमानों की भावनाऐं आहत होंगी।
बयान में आया है कि आले सऊद ने इससे पहले भी 1344 हिजरी क़मरी में जन्नतुल बक़ी के रौज़ों को ध्वस्त किया, इससे पहले कर्बला पर हमला किया हजारों मुसलमानों का नरसंहार किया और अब एक बार फिर इतना घिनौना क़दम उठाने की साजिश रचाई जा रही है।
इस बयान में कहा गया है कि तकफीरियों ने पैग़म्बरे इस्लाम (स।) के जन्म स्थान पर इससे पहले भी पुस्तकालय का निर्माण कर रखा है जबकि अभी उसे ध्वस्त करके उसके स्थान पर आले सऊद के राजा के लिए महल निर्माण किए जाने की योजना तैयार की गई है जोकि रसूल अकरम (स।) से इस परिवार की अत्यंत दुश्मनी का सबूत है।
 अहलेबैत (अ) वर्ल्ड एसेंबली ने अपने बयान में मराजए कराम, उल्मा, धार्मिक संस्थाओं और धार्मिक संगठनों से मांग की है कि वह अपनी धार्मिक और शरई ज़िम्मेदारी का पालन करते हुए सऊदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाएं और इस्लाम की इस महान ऐतिहासिक निशानी को नष्ट होने से बचाया जाए।