अहले बैत वर्ल्ड असेंबली के सेक्रेटरी जनरल आयतुल्लाह रमज़ानी ने बुरुंडी के शिया खोजा इस्ना अशरी जमाअत की दावत में हिस्सा लेते हुए दीं के खिलाफ पश्चिमी जगत की साज़िशों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि कुछ लोग धर्म को नष्ट तो नहीं कर सके लेकिन सीमित ज़रूर कर दिया। धर्म को सीमित करना पश्चिमी लोगों का काम है। वे धर्म के ख़िलाफ़ नहीं लड़ सकते थे, लेकिन उन्होंने झूठी आध्यात्मिकता जैसी चीज़ें गढ़ीं और धर्म को महदूद करने में सफल रहे।
पिछले सौ वर्षों में हमने धर्म के साथ दो प्रकार की मुठभेड़ देखीं। सबसे पहले, कुछ लोग धर्म को मिटाना चाहते थे और कहते थे कि धर्म एक अंधविश्वास है, यह वास्तविक नहीं है और यह गरीबों और जरूरतमंद लोगों के हाथों से बनाया गया है। इसलिए उन्होंने अधर्म यानी साम्यवाद और कम्युनिज़्म के आधार पर सरकार बनाई। जॉर्जिया की मेरी यात्रा के दौरान, उस देश के बिशप ने मुझसे कहा कि आपने कम्युनिज़्म के 70 साल के काल का अनुभव नहीं किया है, मस्जिदों को गोदामों के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, किसी को भी कार्यालयों और अन्य स्थानों पर प्रार्थना करने का अधिकार नहीं था, और ऐसा करना मना था। हज पर जाना भी मना था। यानी धर्म पर रोक थी, चर्च भी ऐसी ही बल्कि और बुरी हालत में था।
धर्म से दूसरी मुठभेड़ यह थी कि कुछ लोग धर्म को नष्ट तो नहीं कर सके लेकिन उसे सीमित कर दिया। धर्म को सीमित करना पश्चिमी लोगों का काम है। वे धर्म के ख़िलाफ़ नहीं लड़ सकते थे, लेकिन उन्होंने झूठी आध्यात्मिकता जैसी चीज़ें गढ़ीं और धर्म को सिमित कर दिया।