ईरान के विदेश मंत्री सय्यद अब्बास अराक़्ची ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस बयान को सख़्ती से खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि ईरान “अब्राहम समझौते” में शामिल हो सकता है। अराक़्ची ने कहा, “यह समझौता गद्दारी है और इस्लामी क्रांति के उसूलों के खिलाफ़ है, इसलिए ईरान इसका हिस्सा कभी नहीं बनेगा।”
सरकारी टीवी पर दिए एक इंटरव्यू में अराक़्ची ने कहा कि ग़ज़्ज़ा में युद्धविराम का पहला चरण लागू हो चुका है, लेकिन अब भी 50% से ज़्यादा इलाक़ा इस्राईल के कब्जे में है, और यह साफ़ नहीं है कि वह पूरी तरह पीछे हटेगा या नहीं।
उन्होंने कहा कि ईरान हमेशा से ग़ज़्ज़ा की हिफ़ाज़त और उससे हमदर्दी करता आया है, और मौजूदा युद्धविराम का फ़ैसला रेज़िस्टेंस ग्रुप्स का है, जिसे ईरान सम्मान देता है।
अराक़्ची ने कहा कि ईरान की नीति साफ़ है अमेरिका से कोई गुप्त बातचीत या संदेशों का आदान-प्रदान नहीं हुआ। ईरान की बातचीत सिर्फ़ परमाणु मुद्दे तक सीमित है, न कि रेज़िस्टेंस या अन्य मामलों पर।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार बार-बार अपने दावे और नीतियां बदलती रहती है, इसलिए उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। ग़ज़्ज़ा के मामले में भी ट्रम्प और पश्चिमी देशों के किए गए वादों पर गंभीर शक और संदेह हैं।
अराक़्ची ने यूरोपीय देशों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि “जब अमेरिका समझौते से बाहर हो गया और यूरोप ने भी वादाख़िलाफ़ी की, तो अब हमें उनसे क्या बात करनी है?” उन्होंने कहा कि ईरान की बातचीत सिर्फ़ उसी मुद्दे पर होगी जो दोनों पक्षों के लिए बराबरी और भरोसे पर आधारित हो।
आपकी टिप्पणी