12 अक्तूबर 2025 - 14:46
अमेरिका और परमाणु शक्ति संपन्न देश भी हमास को हरा नहीं सके 

अमेरिका और विश्व शक्तियों की मदद के बावजूद इस्राईल अपने एक भी बंदी को हमास से छुड़ा नहीं सका, बल्कि हमास ने अल्लाह की मदद से मज़बूती से डटकर मुक़ाबला किया, जबकि उसे दुनिया में कोई हमदर्द या साथी तक नहीं मिला, यहाँ तक कि मुस्लिम देशों ने भी उसका साथ नहीं दिया।

वेफ़ाकुल मदारिस-ए-शिया पाकिस्तान के अध्यक्ष आयतुल्लाह हाफ़िज़ सय्यद रियाज़ हुसैन नक़वी ने कहा कि क़ुरआन करीम हर मसले का हल देता है और अल्लाह जब चाहता है, कमजोर क़ौमों को ताक़त अता करता है।

उन्होंने हिजरत के बाद जंगे बद्र की याद दिलाते हुए कहा कि उस जंग में 313 मुसलमानों ने 950 काफ़िरों पर फ़तह हासिल की, और यह सब अल्लाह की मदद से मुमकिन हुआ।

आयतुल्लाह नक़वी ने कहा कि ताक़त और इज़्ज़त देने वाला सिर्फ़ अल्लाह है, जो जब चाहे किसी कमजोर क़ौम को मज़बूत बना देता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और विश्व शक्तियों की मदद के बावजूद इस्राईल अपने एक भी बंदी को हमास से छुड़ा नहीं सका, बल्कि हमास ने अल्लाह की मदद से मज़बूती से डटकर मुक़ाबला किया, जबकि उसे दुनिया में कोई हमदर्द या साथी तक नहीं मिला, यहाँ तक कि मुस्लिम देशों ने भी उसका साथ नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि हमास की बहादुरी और सब्र ने फ़िलिस्तीन के मसले को पूरी दुनिया में उभारा, जैसे कर्बला में इमाम हुसैन (अ.स.) ने “हल मिन नासिरिन यनसुरुना” की पुकार लगाई थी लेकिन किसी ने जवाब न दिया। आज भी ग़ज़्ज़ा के मज़लूमों की पुकार पर कोई मुस्लिम मुल्क आगे नहीं आया।

आयतुल्लाह नक़वी ने ज़ोर देकर कहा कि अगर हम असल मुसलमान बनना चाहते हैं, तो सबसे पहले अल्लाह की इताअत करें और ये कभी न समझें कि पैग़ंबरे-अकरम (स.अ.) का दर्जा अहल-ए-बैत (अ.स.) के बराबर है; बल्कि अल्लाह के बाद सबसे अफ़ज़ल और बरतर शख्सियत पैग़ंबरे-अकरम (स.अ.) ही हैं।

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