अमेरिका के सहयोगी देश कतर पर हमले के बाद से ही तुर्की पर हमले की अटकलें तेज़ हैं । कुछ ज़ायोनी समर्थकों ने यह संकेत देना शुरू कर दिया कि अगला निशाना नाटो देश तुर्की हो सकता है। ज़ायोनी शिक्षाविद और राजनीतिक हस्ती मीर मसरी ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘आज कतर, कल तुर्की.’ इसके बाद तुर्की के राष्ट्रपति के एक सलाहकार ने इस्राईल के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की और कहा कि जल्द ही उसका नाम नक्शे से मिट जाएगा।
अमेरिका में एक थिंक टैंक के विशेषज्ञ माइकल रुबिन ने कहा कि तुर्की को नाटो या अमेरिका पर सुरक्षा के लिए निर्भर नहीं रहना चाहिए। वहीं तुर्की की सरकार ने इस्राईल की धमकियों को गंभीरता से लिया है। तुर्की ने स्पष्ट किया है कि वह अपने क्षेत्रीय हितों की रक्षा करेगा।
नेतन्याहू ने खुद कहा है कि वह ग्रेटर इस्राईल का सपना देखते हैं, जिसमें सीरिया, लेबनान, मिस्र और जॉर्डन जैसे देशों का कुछ हिस्सा शामिल हो सकता है, हालांकि तुर्की इसके खिलाफ है। यहां यह जानना दिलचस्प है कि तुर्की 1949 में इस्राईल को मान्यता देने वाला पहला मुस्लिम देश बना था।
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