22 अप्रैल 2025 - 15:09
नसीहत करने का सहीह तरीक़ा 

जो उसे सरेआम नसीहत तो ऐसा है जैसे उसने उसका अपमान किया हो और उसकी बेइज़्ज़ती की हो। 

:قال الامام العسکری علیہ السلام

مَن وَعَظَ أخاهُ سِرّا فَقَد زانَهُ وَمَن وَعَظَهُ عَلانِيَةً فَقَد شانَهُ

تحف العقول، ص ۴۸۹

इमाम हसन अस्करी अ.स. 

जो व्यक्ति अपने दीनी भाई को अकेले मे नसीहत करे तो ऐसा है जैसे उसने उसके वकार और गौरव मे इज़ाफ़ा किया है और जो उसे सरेआम नसीहत तो ऐसा है जैसे उसने उसका अपमान किया हो और उसकी बेइज़्ज़ती की हो। 

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