भारत मे बढ़ते इस्लाम फोबिया और मुस्लिम विरोध के बीच अब छात्राओं का हिजाब पहनना भी मुश्किल हो गया है। देश में लगातार मुस्लिम समुदाय के लोगों के प्रताड़ित करने की घटनाएं सामने आ रही है। यह प्रताड़ना अब सड़क से उठकर सरकारी कार्यालयों तक पहुंच गई है। इसी तरह का एक मामला राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश एग्जाम (NEET UG) में देखने को मिली, जहां एक मुस्लिम छात्रा को हिजाब पहनने की वजह से कथित तौर पर एग्जाम में शामिल होने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, और उसका एग्जाम अधूरा छूट गया।
एग्जाम सेंटर पर मौजूद अधिकारियों ने मुस्लिम छात्रा को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के नियमों का हवाला देते हुए हिजाब उतारने के लिए दबाव बनाने लगे। पीड़िता छात्रा फरहीन खान ने एग्जाम सेंटर पर कथित प्रताड़न और भेदभाव के अनुभव को सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर शेयर किया।
दे डेली सियासत में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता के बेकबागान की रहने वाली फरहीन खान का आरोप है कि वह दोपहर 12 बजे अपने निर्धारित समय पर एग्जाम सेंटर पर पहुंच गई थीं. सेंटर में घुसने से पहले ही उन्हें कथित उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. फरहीन ने बताया, "इमारत के बाहर कुछ लड़कों ने मुझे हिजाब में देखा और 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगे. मैं अकेली गई थी."
इस दौरान जब फरहीन ने एग्जाम सेंटर में प्रवेश किया, तो उन्हें एनटीए स्टाफ मिला जिसने उन्हें बताया कि एनटीए नियमों के मुताबिक एग्जाम के दौरान हिजाब या दुपट्टा पहनने की इजाजत नहीं है। फरहीन के मुताबिक, एनटीए के नियम तहत धार्मिक वजहों से हिजाब पहनने वालों को सुरक्षा जांच के लिए एक घंटा पहले केंद्र पर पहुंचने का निर्देश हैं। इस नियमों का पालन करते हुए वह एग्जाम से दो घंटे पहले ही सेंटर पर पहुंच गई थीं।
फरहीन ने बताया, "मैंने स्टाफ से बात की और उन्होंने कहा कि नियम हर साल बदलते हैं. मैंने उनसे कहा कि मैंने ऐसा कोई नियम नहीं पढ़ा है और ड्रेस कोड में भी ऐसा कुछ नहीं लिखा था। एनटीए ड्रेस कोड में जूते, झुमके, बेल्ट वगैरा न पहनने के निर्देश हैं। फरहीन का आरोप है कि उन्होंने फॉर्म भरते समय यह स्पष्ट रूप से बताया था कि वह धार्मिक पोशाक (हिजाब) पहनकर आएंगी।
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