12 फ़रवरी 2025 - 06:05
इमाम मेहदी (अ.ज.) के ज़ुहूर की निशानियां?

सबसे पहले ये समझना ज़रूरी है कि इमाम मेहदी (अ.ज.) के ज़ुहूर (प्रकट होने) का सही वक्त सिर्फ़ अल्लाह को मालूम है। लेकिन हदीसों में कुछ निशानियां बताई गई हैं, जो उनके ज़ुहूर से पहले दुनिया में नज़र आएंगी। इन निशानियों को देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इमाम (अ.ज.) के ज़ुहूर का वक्त क़रीब है।

सबसे पहले ये समझना ज़रूरी है कि इमाम मेहदी (अ.ज.) के ज़ुहूर (प्रकट होने) का सही वक्त सिर्फ़ अल्लाह को मालूम है। लेकिन हदीसों में कुछ निशानियां बताई गई हैं, जो उनके ज़ुहूर से पहले दुनिया में नज़र आएंगी। इन निशानियों को देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इमाम (अ.ज.) के ज़ुहूर का वक्त क़रीब है।

ज़ुहूर की दो तरह की निशानियां

यक़ीनी (पक्की) निशानियांः ये निशानियां हर हाल में पूरी होंगी। 

ग़ैर-यक़ीनी (अनिश्चित) निशानियांः ये भी हो सकती हैं, लेकिन ज़रूरी नहीं कि हर हाल में हों।


यक़ीनी निशानियां

इमाम सादिक़ (अ.स.) ने फ़रमाया: "हमारे क़ाएम (इमाम मेहदी) के ज़ुहूर से पहले पाँच निशानियां ज़रूर होंगी। सुफ़यानी का आना, यमानी का ख़ुरूज (आना), आसमान से एक तेज़ आवाज़ का आना, नफ़्से ज़किया का क़त्ल और बैदा नाम की जगह पर एक फ़ौज का ज़मीन में धंस जाना।"

1. सुफ़यानी का आना

सफ़यानी एक ज़ालिम हाकिम होगा, जो अबू सुफ़यान की नस्ल से होगा। वह इमाम मेहदी (अ.ज.) के ज़ुहूर से पहले सत्ता हासिल करेगा और मज़हब का दिखावा करके लोगों को धोखा देगा। वह कई मासूमों को बेरहमी से क़त्ल करेगा, ख़ासतौर पर इराक और सीरिया में।

इमाम सादिक़ (अ.स.) ने फ़रमाया: "अगर तुम सुफ़यानी को देखो, तो तुमने सबसे बुरा इंसान देख लिया।"

सुफ़यानी की हुकूमत 9 महीने चलेगी, और उसके उठने से लेकर मौत तक 15 महीने का वक्त लगेगा।

2. बैदा में फ़ौज का ज़मीन में धंस जाना

बैदा मक्का और मदीना के बीच की एक जगह है। सुफ़यानी इमाम मेहदी (अ.ज.) को पकड़ने के लिए अपनी फ़ौज मक्का भेजेगा। लेकिन जैसे ही उसकी फ़ौज बैदा पहुंचेगी, अल्लाह के हुक्म से वह पूरी की पूरी ज़मीन में समा जाएगी।

इमाम बाक़िर (अ.स.) ने फ़रमाया: "जब सुफ़यानी की फ़ौज बैदा में रुकेगी, तो आसमान से एक आवाज़ आएगीः ‘ऐ बैदा! इस फ़ौज को निगल ले!’ और पूरी फ़ौज ज़मीन में धंस जाएगी।"

3. यमानी का ख़ुरूज (प्रकट होना)

यमन से एक नेक और बहादुर शख़्स उठेगा, जिसे यमानी कहा जाएगा। वह इंसाफ़ और भलाई के लिए जंग करेगा और लोगों को हक़ की तरफ़ बुलाएगा।

इमाम बाक़िर (अ.स.) ने फ़रमाया: "यमानी का झंडा सबसे हिदायत देने वाला झंडा होगा, क्योंकि वह सीधा इमाम मेहदी (अ.ज.) की तरफ़ बुलाएगा।"

4. आसमान से एक बुलंद आवाज़ (ऐलान)

ज़ुहूर से पहले आसमान से एक बुलंद आवाज़ सुनाई देगी, जिसे पूरी दुनिया सुनेगी।

इमाम बाक़िर (अ.स.) ने फ़रमाया: "जब तक आसमान से एक आवाज़ न आए, तब तक इमाम मेहदी (अ.ज.) का ज़ुहूर नहीं होगा। यह आवाज़ पूरब और पश्चिम, दोनों जगह सुनी जाएगी।"

यह आवाज़ जिब्रील (अ.स.) की होगी, जो इमाम मेहदी (अ.ज.) के हक़ पर होने की गवाही देगी। ईमान वाले इस आवाज़ से खुश होंगे, लेकिन बुरे लोग डर जाएंगे।

कुछ हदीसों में बताया गया है कि एक दूसरी आवाज़ भी उठेगी, जो शैतान की होगी। वह लोगों को गुमराह करने की कोशिश करेगा और उन्हें इमाम मेहदी (अ.ज.) का इंकार करने पर उकसाएगा।

5. नफ़्स-ए-ज़किया का क़त्ल

"नफ़्स-ए-ज़किया" का मतलब है एक नेक और मासूम इंसान, जिसे बेगुनाह मार दिया जाएगा।

शिया हदीसों में आया है कि एक जवान, जो पूरी तरह पाक और मासूम होगा, मस्जिदुल हराम में रुक्न और मक़ाम के बीच क़त्ल किया जाएगा।

कुछ हदीसों में है कि इस वाक़िये और इमाम मेहदी (अ.ज.) के ज़ुहूर के बीच सिर्फ़ 15 दिन का फ़ासला होगा।

ग़ैर-यक़ीनी (अनिश्चित) निशानियां

इन पाँच बड़ी निशानियों के अलावा और भी कई निशानियां बताई गई हैं, लेकिन इनके होने की गारंटी नहीं। इनमें से कुछ ये हैं:

ख़ुरासानी का आना सैयद हसनी का उभरना शुऐब बिन सालेह का आंदोलन रमज़ान में सूरज और चांद का गहेन बेमौसम ज़्यादा बारिशें होना दुनिया में जंग और अशांति बढ़ जाना

 

सबक़ और तैयारी

इमाम मेहदी (अ.ज.) के ज़ुहूर का सही वक्त सिर्फ़ अल्लाह को पता है। लेकिन ये निशानियां हमें ज़ुहूर की तैयारी करने का मौक़ा देती हैं। हमें इन निशानियों पर नज़र रखनी चाहिए और अपने ईमान को मज़बूत करना चाहिए, ताकि जब इमाम (अ.ज.) का ज़ुहूर हो, तो हम उनके सच्चे मददगार बन सकें।