यह मशहूर कहावत सऊदी प्रशासन पर पूरी खरी उतरती है जो आए दिन ईरान को कभी अपना और कभी इस्लामी जगत का दुश्मन और क्षेत्र व दुनिया में अशांति फैलाने वाला देश बताने की जुगत में रहते हैं। उनके इस काम का मक़सद ईरान को हमेशा से अमरीका की प्राथमिकता में रखना है, बल्कि वे चाहते हैं कि अमरीका और ईरान के बीच तनाव से अपना भी उल्लू सीधा करें।
दूसरी ओर ईरान है जो सऊदी अरब को इतना तुच्छ और नीच समझता है कि उसकी बातों पर ध्यान तक नहीं देता, अलबत्ता आले सऊद परिवार के मामले को सऊदी जनता से बिल्कुल ही अलग समझता है।
बुधवार को सऊदी नरेश ने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के वार्षिक अधिवेशन में ईरान, अंसारुल्लाह और हिज़्बुल्लाह से खुलकर अपनी दुश्मनी दिखाई। अलज़ाइमर का शिकार सऊदी नरेश ने कहा कि दशकों से सऊदी अरब ईरान की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है ताकि दुनिया की अर्थव्यवस्था को मुक्ति दिलाए लेकिन ईरान ने कोई सकारात्मक जवाब ही नहीं दिया।
सऊदी नरेश की बात सही है, मिना की घटना और वर्ष 1987 में ईरानी हाजियों का ईरान है जो सऊदी अरब जनसंहार और फ़ार्स की खाड़ी परिषद की बैठकों में खुली दुश्मन, अरब संघ में ईरान विरोधी गतिविधियां और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ईरान के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने को तेहरान भूल जाता।
शायद अलज़ाइमर का शिकार सऊदी नरेश, सऊदी अरब की दशकों पुरानी दुश्मनी और दुष्टता को भूल गये। सऊदी नरेश ने अपने तेल प्रतिष्ठानों पर हमले का ज़िम्मेदार ईरान को क़रार दिया, अलबत्ता वह भूल गये कि इस्लामी जगत के नेतृत्व का दम भरने वाला सऊदी अरब अरबों डॉलर के हथियार अमरीका से क्यों ख़रीद रहा है, सऊदी अरब ने अपने स्वामी अमरीका के हथियारों के व्यापार को बहाल करने के लिए अपने नागरिकों की संख्या से अधिक हथियार ख़रीद लिए हैं।
सऊदी नरेश ने दावा किया कि यमनी राष्ट्र और अंसारुल्लाह के हमलों से सऊदी नागरिकों को बचाने के लिए यमन के विरुद्ध युद्ध जारी रखेंगे। उन्होंने वादा किया कि यमन की संप्रभुता इस देश को लौटाएंगे, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह अपना यह वादा कब पूरा करेंगे? क्या वह अपने बचकाने सपने को सकारा होता देख पाएंगे, क्या उनकी उम्र इस बात की अनुमति देगी? यमनी जनता पर छह साल से थोपे गये युद्ध के बावजूद सऊदी नरेश और उनके परिवार के हाथ कुछ भी नहीं लगा, प्रिंस सलमान 85 साल के हो गये हैं और अगर वह जवानी की कामना करते हैं तो यह बुरा नहीं है।
सऊदी नरेश ने बैरूत धामके को हिज़्बुल्लाह से जोड़ दिया जबकि इस घटना की जांच जारी है। इसी के साथ उन्होंने हिज़्बुल्लाह के निरस्त्रीकरण की भी मांग कर डाली।
अलबत्ता यह सब बातें अपने स्वामी अमरीका को ख़ुश करने के लिए प्रिंस सलमान ने कह डाली लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि हिज़्बुल्लाह से इतनी लंबी दुश्मन से उन्हें आजतक क्या हासिल हुआ है।
बहरहाल यह कहना चाहिए कि कुत्ते भौंकते रहते हैं, हाथी अपनी चाल चलता रहता है।