इस्राईल पर गज़्ज़ा जनसंहार के बाद लेबनान में बड़े सैन्य अभियान के षड्यन्त्र का आरोप लगाते हुए लेबनान के प्रख्यात समाचार पत्र अल अखबार ने कहा कि एक अमेरिकी टीम ने य्हां यह धारणा बनाने की कोशिश की है कि अगर हिज़्बुल्लाह को निरस्त्र करने की मांगें पूरी नहीं होतीं, तो लेबनान में “ग़ज़्ज़ा मॉडल” दोहराया जा सकता है।
मिस्र के शर्म-अल-शेख में हाल ही में हुए ग़ज़्ज़ा शांति सम्मेलन से लेबनान की गैरहाज़िरी इस बात की पुष्टि करती है कि अमेरिका की मौजूदा प्राथमिकताओं और डोनाल्ड ट्रम्प की तथाकथित “ग्रेट पीस प्लान” में लेबनान की कोई जगह नहीं है। इस अनुपस्थिति ने क्षेत्रीय परिवर्तनों के बीच लेबनान की उपेक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
लेबनानी सरकार ने अपने बयानों में स्पष्ट किया है कि इस्राईल को देश पर हमले बंद करने होंगे, तभी सीमाओं और अन्य मुद्दों पर बातचीत शुरू हो सकती है। राष्ट्रपति मिशेल औन ने कहा कि इस्राईल ने पहले हुए समझौतों का पालन नहीं किया है, और उसकी यह हरकतें हालात को और तनावपूर्ण बना रही हैं।
हाल ही में “अल-मसीलह” क्षेत्र पर हुए हमले को बढ़ते तनाव और संभावित नई झड़पों के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। इन हमलों ने लेबनान में जनता की उस चिंता को और गहरा कर दिया है कि इस्राईल के साथ नया संघर्ष भड़क सकता है, जबकि सरकार राजनीतिक और सैन्य दबावों को लेकर सशंकित है।
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका दक्षिणी लेबनान के लिए कई संभावित विकल्पों पर विचार कर रहा है, जिनमें से एक विकल्प यह भी है कि उस क्षेत्र का नियंत्रण किसी अंतरराष्ट्रीय बल को सौंप दिया जाए।
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