قالَ لُقْمانُ لاِءِبنِهِ: لِلْحاسِدِ ثَلاثُ عَلاماتٍ: يَغْتابُ اِذا غابَ، وَ يَتَمَلَّقُ اِذا شَهِدَ وَ يَشْمِتُ بِالْمُصيبَةِ؛
[بحار الانوار: ج 96، ص 206]
इमाम सादिक़ अ.स.
लुक़मान ने अपने बेटे से कहा : हासिद की तीन निशानियाँ हैं :
1. पीठ पीछे गीबत करता है।
2. सामने चापलूसी करता है।
3. मुसीबत और मुश्किल के समय बुराई और निंदा करता है।
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