9 मई 2025 - 15:56
इमाम रज़ा की ज़ियारत का सवाब 

... तो मैं क़यामत के दिन तीन स्थानों पर उसके पास आऊँगा ताकि उसके उनकी मुसीबतों से निजात दूँ, 

:قال الامام الرضا علیه السلام

مَنْ زَارَنِي عَلَى بُعْدِ دَارِي أَتَيْتُهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ فِي ثَلَاثِ مَوَاطِنَ حَتَّى أُخَلِّصَهُ مِنْ أَهْوَالِهَا إِذَا تَطَايَرَتِ الْكُتُبُ يَمِيناً وَ شِمَالًا وَ عِنْدَ الصِّرَاطِ وَ عِنْدَ الْمِيزَانِ

وسائل الشیعه، ج ۱۰، ص ۴۳۳

इमाम रज़ा अ.स. :

जो शख्स सफर की दूरी के बावजूद मेरी ज़ियारत को आए तो मैं क़यामत के दिन तीन स्थानों पर उसके पास आऊँगा ताकि उसके उनकी मुसीबतों से निजात दूँ, 

जब आमाल नाम दायें और बाईं जानिब से दिए जा रहे होंगे। 

पुले सिरात पर

मीज़ान पर, मतलब जब आमाल का हिसाबो किताब होगा,  उस वक्त

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