श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में शबे क़द्र में भी इबादत की इजाज़त न मिलने से एक बार फिर घाटी के माहौल रोष के साथ साथ राजनीति गरमा गयी है।
श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में शब-ए-क़द्र के दौरान इबादत करने की इजाज़त नहीं दी गई, जिसपर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने नाराज़गी जताई है। उनके साथ घाटी में बड़ी संख्या में नेताओं ने सुरक्षा एजेंसियों के जरिए की गई इस कार्रवाई की निंदा की है। महबूबा मुफ़्ती ने इसे कलेक्टिव पनिशमेंट बताया है।
उन्होंने कहा कि लैलतुल कद्र की पवित्र रात को जामा मस्जिद को बंद करना कश्मीरियों पर लगाए गए कलेक्टिव पनिशमेंट का एक और उदाहरण है। सरकार जो दावा करती है और जश्न मनाती है कि उसने अलगाववाद को खत्म कर दिया है, वह हर कश्मीरी को संभावित अलगाववादी के रूप में देखती है।
महबूबा मुफ़्ती ने आगे कहा कि "पूरी तरह से सामान्य हालात बहाल करने का उनका झूठा नैरेटिव तब और उजागर होता है जब एक ऐतिहासिक मस्जिद को नमाजियों के लिए बंद कर दिया जाता है, वह भी उस रात जब सभी मुसलमान खूब इबादत करते हैं।
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