25 मई 2021 - 17:58
12 दिवसीय ग़ज़्ज़ा युद्ध का पहला आफ़्टर शाॅक, इस्राईल के ख़ुफ़िया चीफ़ पद से हटाए गए!

इस्राईल के प्रधानमंत्री नेतनयाहू ने गुप्तचर सेवा मूसाद के चीफ़ यूसी कोहेन को उनके पद से हटा कर डेविड बारनिया को नया ख़ुफ़िया चीफ़ नियुक्त किया है।

डेविड बारनिया मूसाद के 13वें प्रमुख और तीसरे व्यक्ति हैं जिन्हें नेतनयाहू ने पिछले 12 साल में इस्राईली गुप्तचर विभाग का प्रमुख नियुक्त किया है। पूर्व प्रमुख यूसी कोहेन 2015 में मूसाद के चीफ़ बने थे और नेतनयाहू के बेहद क़रीबी माने जाते थे। हिज़्बुल्लाह के वरिष्ठ कमांडर एमाद मुग़निया और इसी तरह ईरान के कई परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या, मूसाद के चीफ़ के रूप में यूसी कोहेन के काले कारनामों में सबसे अहम कार्यवाहियां समझी जाती हैं।

कहा जा रहा है कि दिसम्बर 2020 में ही कोहेन को उनके पद से हटा दिया गया था लेकिन इस्राईल के अटार्नी जनरल के विरोध के चलते इस पर अमल नहीं हो सका था। इस्राईल के अटार्नी जनरल अविख़ाई मानदेलबेलीत ने यह कहते हुए कि मूसाद के नए चीफ़ को संसदीय चुनाव के बाद और एक स्थायी सरकार के सत्ता में आने के बाद ही नियुक्त किया जाना चाहिए, डेविड बारनिया को इस्राईल के ख़ुफ़िया चीफ़ के पद पर नियुक्त किए जाने के आदेश को रोक दिया था। इस्राईल में राजनैतिक संकट जारी रहने और अपने पद पर यूसी कोहेन के काम की अवधि समाप्त होने के कारण अब इस्राईल के अटार्नी जनरल ने बारनिया को मूसाद का चीफ़ बनाए जाने का विरोध नहीं किया है। उन्होंने कहा है कि चूंकि पहली जून को यूसी कोहेन अपने पद से हट जाएंगे इस लिए बारनिया के नए मूसाद प्रमुख बनने की राह की क़ानूनी रुकावटें दूर हो गई हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान राजनैतिक हालात को देख कर ऐसा नहीं लगता कि पहली जून तक नए मंत्रीमंडल का गठन हो जाएगा।

ऐसा लगता है कि नेतनयाहू इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि जब तक नया मंत्रीमंडल गठित नहीं हो जाता, मूसाद के नए चीफ़ के नाम की घोषणा कर दें ताकि अगर प्रधानमंत्री का पद उनके हाथ से निकल भी जाए तो मूसाद में उनका प्रभाव बना रहे। दूसरी तरफ़ कई टीकाकारों का यह भी कहना है कि कोहेन को उनके पद से हटाया जाना, फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधकर्ता गुटों से लड़ाई में इस्राईल की शर्मनाक हार के बाद आने वाले भूकंप का पहला आफ़्टर शाॅक है। अलबत्ता इस बात में बहुत ज़्यादा वज़न दिखाई नहीं देता क्योंकि पहली बात तो यह है कि कोहने को उनके पद से हटाने का फ़ैसला दिसम्बर 2020 में ही कर लिया गया था और दूसरी बात यह कि हालिया जंग में प्रतिरोधकर्ता गुटों की जीत, मूसाद की कमज़ोरी से ज़्यादा मीज़ाइल और ड्रोन जैसी क्षमताओं समेत प्रतिरोधकर्ता गुटों की ताक़त की वजह से हासिल हुई है।