इस्लाम

  • रमज़ान 2014 और इस्लामी देश।

    रमज़ान 2014 और इस्लामी देश।

    रमज़ान 2014 और इस्लामी देश।

  • इस्लामी दुनिया भाईचारे और दोस्ती के सम्बंध को मज़बूत करें।

    इस्लामी दुनिया भाईचारे और दोस्ती के सम्बंध को मज़बूत करें।

    राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने इस्लामी सहयोग संगठन के महासचिव इयाद मदनी के नाम संदेश में उम्मीद जताई है कि पाक रमज़ान के महीने में इस्लामी दुनिया उच्च मार्ग की ओर क़दम बढ़ाएगा।

  • वास्तविक मुसलमान

    पैग़म्बरे इस्लाम सअ. ने फ़रमायाः वास्तविक मुसलमान वह है जिसकी ज़बान व हाथ से दूसरे सुरक्षित रहें।

  • एक से अधिक शादियां इस्लाम की निगाह में।

    एक से अधिक शादियां इस्लाम की निगाह में।

    आज के ज़माने का सबसे गर्म विषय एक से ज़्यादा शादियाँ करने का मसला है। जिसे मुद्दा बना कर पच्छिमी दुनिया ने औरतों को इस्लाम के ख़िलाफ़ ख़ूब इस्तेमाल किया है और मुसलमान औरतों को भी यह विश्वास दिलाने की कोशिश की है कि एक से ज़्यादा शादियों का क़ानून औरतों के साथ नाइंसाफ़ी है और यह उनके ख़िलाफ़ किया जाने वाला इस्लामी ज़ुल्म है और यह उनका अपमान एवं तौहीन है ऐसा लगता है कि इस्लाम में औरत अपने शौहर की पूरी मुहब्बत की भी हक़दार नहीं हो सकती है और उसे शौहर की आमदनी की तरह उसकी मुहब्बत को भी बांटना पड़ेगा और आख़िर में जितना हिस्सा अपनी क़िस्मत में लिखा होगा उसी पर सब्र करना पड़ेगा।

  • इस्लाम में औरत का महत्व (3)

    इस्लाम में औरत का महत्व (3)

    शादी इंसानी ज़िन्दगी का महत्वपूर्ण मोड़ है जब दो इंसान अलग जेन्डर से होने के बावजूद एक दूसरे की ज़िन्दगी में सम्पूर्ण रूप से दख़ील हो जाते हैं और हर को दूसरे की ज़िम्मेदारी और उसके भावनाओं का पूरे तौर पर ख़्याल रखना पड़ता है। इख़्तिलाफ़ के आधार पर हालात और स्वभाव की मांगें भिन्न होती हैं लेकिन हर इंसान को दूसरे के भावनाओं के दृष्टिगत अपनी भावनाओं और एहसास की सम्पूर्ण क़ुरबानी देनी पड़ती है।

  • इस्लाम में औरत का महत्व (2)

    इस्लाम में औरत का महत्व (2)

    उसकी निशानियों में से एक यह है कि उसने तुम्हारा जोड़ा तुम ही में से पैदा किया है ताकि तुम्हे उससे ज़िन्दगी का सुकून हासिल हो और फिर तुम्हारे बीच मुहब्बत व रहमत की भावना बताया है। आयते करीमा में दो अहम बातों की तरफ़ इशारा किया गया है

  • ख़ुदा का भय

    ख़ुदा का भय

    बेशक , जिन लोगों को इस से पूर्व ज्ञान दे दिया गया है , जब उन पर आयात का पाठ किया जाता है , तो वे मुंह के बल सजदे में गिर पड़ते हैं , और कहते हैं , कि हमारा रब बड़ा ही पाक व पाकीज़ा है । उस का वादा निश्चित रूप से पूरा हो कर रहेगा , और वे मुंह के बल गिर कर रोते हैं , जिस से उन के ख़ुशू व ख़ुज़ू में वृद्धि होती जाती है

  • इस्लाम में औरत का महत्व (1)

    इस्लाम में औरत का महत्व (1)

    इस्लाम में औरत के महत्व को जानने से पहले इस बात पर ध्यान देना चाहिये कि इस्लाम ने इन बातों को उस समय पेश किया जब बाप अपनी बेटी को ज़िन्दा दफ़्न कर देता था और उस कुरूरता को अपने लिये सम्मान और सम्मान का कारण समझता था। औरत दुनिया के हर समाज में बहुत मूल्यहीन प्राणी समझा जाता था।