आयतुल्लाह शेख़ इब्राहीम ज़कज़की ने कहा कि पश्चिमी लोग इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि मुसलमानों के लिए पवित्र क़ुरआन कितनी महत्वपूर्ण किताब है और इस्लामी उम्माह का इस ईश्वरीय पुस्तक से लगाव का मतलब है कि कोई भी उसमें फेर-बदल नहीं सकता है। सच्चाई भी यही है कि दुनिया की कोई भी शक्ति पवित्र क़ुरआन में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं कर सकती है। नाइजीरिया के इस्लामिक आंदोलन के प्रमुख ने कुछ यूरोपीय देशों में पवित्र क़ुरआन का निरंतर हो रहे अपमान पर इस्लामी देशों द्वारा दी जारी रही प्रतिक्रिया पर कहा कि मुस्लिम उम्माह और इस्लामी देशों को उन देशों के उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए जो पवित्र क़ुरआन का अपमान करने का समर्थन करते हैं। शेख़ इब्राहीम ज़कज़की ने कहा कि यूरोपीय देशों को चाहिए कि वह पवित्र क़ुरआन के किसी भी तरह के अपमान पर रोक लगाने वाला क़ानून बनाएं। उन्होंने कहा कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो लोग उनके विरुद्ध उठ खड़े होंगे, क्योंकि पवित्र क़ुरआन मुसलमानों की आत्मा है।