वर्तमान वर्ष के आरंभ के दूसरे तीन महीनों के दौरान 13 हज़ार से भी अधिक कंपनियों, होटलों, रेस्टोरेंटो और व्यापारिक संस्थानों ने अपने दिवालियेपन की घोषणा की है।
यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में फ्रांस में हज़ारों कंपनियों की ओर से स्वंय को दिवालिया घोषित करने की सूचना वहां पर उभरते आर्थिक संकट की ओर संकेत है। इसका एक अन्य कारण यह भी है कि कोरोना काल में जिन कंपनियों ने आर्थिक गतिविधियों के चलते बैंको से सशर्त उधार लिया था वे अब भी अपना हिसाब चुकता करने की स्थति में नहीं हैं। इन कंपनियों के पास स्वयं को दीवालिया घोषित करने के अतिरिक्त कोई अन्य मार्ग नहीं है।
यूक्रेन युद्ध के बाद फ्रांस में मंहगाई के बढ़ने और बढ़ती तेल की क़ीमतों के कारण वहां के उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति कम हो चुकी है जिसके परिणामस्वरूप कंपनियों को घाटा उठाना पड़ रहा है।
फ्रांस के वित्त मंत्रालय के अनुसार जेसे-जैसे कंपनियों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, होटलो, रेस्टोरेंटो, सिनेमाघरों और अन्य व्यापारिक केन्द्रों की गतिविधियों के कम हो जाने से देश के भीतर बेरोज़गारों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इसी बीच फ्रांस में सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर उसकी आलोचना की जा रही है।