AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
बुधवार

10 मई 2023

1:07:59 pm
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ईरान के बाद हिज़्बुल्लाह और सऊदी अरब के बीच वार्ता जारी, अमेरिका हुआ बेबस।

आले सऊद ईरान से रिश्ते मज़बूत कर रहे हैं और अब वह लेबनान में राष्ट्रपति चुनाव के लिए हिज़्बुल्लाह के साथ भी बातचीत कर रहे हैं। सऊदी अरब ने सीरिया से भी अपने रिश्ते बहाल करते हुए अब दमिश्क़ और दूसरे अरब देशों के रिश्तों को सुधारने का बीड़ा उठाया है।

मीडिल ईस्ट के तेज़ी से बदलते हालात और अरब लीग में अमेरिका के कड़े विरोध के बावजूद सीरिया की पूरी शान के साथ वापसी ने इस इलाक़े के सभी समीकरण बिगाड़ कर रख दिए हैं। 

राष्ट्रपति चयन को लेकर पिछले काफी समय से राजनैतिक गतिरोध का सामना कर रहे लेबनान को लेकर भी इन बदलते समीकरणों के बीच अच्छी खबर आ रही है। ज़ायोनी समाचार पात्र मआरीव ने दावा करते हुए कहा है कि आले सऊद ईरान से रिश्ते मज़बूत कर रहे हैं और अब वह लेबनान में राष्ट्रपति चुनाव के लिए हिज़्बुल्लाह के साथ भी बातचीत कर रहे हैं। सऊदी अरब ने सीरिया से भी अपने रिश्ते बहाल करते हुए अब दमिश्क़ और दूसरे अरब देशों के रिश्तों को सुधारने का बीड़ा उठाया है। 

मआरीव ने कहा कि 11 साल तक चले सीरिया संकट के बाद अब सीरिया के लिए अरब लीग के दरवाज़े खुल गए हैं और अरब लीग ने खुले दिल से दमिश्क़ का इस्तक़बाल किया है। और कमाल की बात यह है कि मीडिल ईस्ट में बड़े बदलाव का यह काम किसी और ने नहीं बल्कि सऊदी अरब और उसके युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने किया है। ज़ायोनी न्यूज़ पेपर ने कहा कि बिन सलमान ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को रीजनल डिप्लोमेसी का पाठ पढ़ाया और इलाक़े के सारे समीकरण बदल कर रख दिए, रियाज़ और ईरान के रिश्ते भाल होते ही हम इस्राईली हैरत में पड़ गए। सऊदी युवराज ने नेतन्याहू और बाइडन के बीच बेहद नाज़ुक रिश्तों के बीच हमे बहुत ज़्यादा ग़ैर यक़ीनी हालात में छोड़ दिया है। 

इस्राईल के लिए कठिन मरहलों और ज़ायोनी लॉबी की हर का ज़िक्र करते हुए मआरीव ने कहा कि हम देख रहे कि मिस्र और जॉर्डन भी ईरान के साथ अपने रिश्तों को मज़बूत करने में जुटे हुए हैं। जिसे इस्राईल के खिलाफ ईरान का घेरा और तंग हो जाएगा। हिज़्बुल्लाह, हमास, ग़ज़्ज़ा और अब वेस्ट बैंक की ओर से भी हमारे लिए खतरा बढ़ता ही जा रहा है। 

ज़ायोनी समाचार पत्र ने दावा करते हुए कहा कि हालाँकि सऊदी अरब दमिश्क़ में ईरान के प्रभाव को काम करने कि कोशिश में है लेकिन सीरिया अरब लीग में भी अपनी हालिया नीतियों पर अडिग रहेगा। ऐसे में इस्राईल के लिए हालात बेहद कठिन होने वाले हैं। हमें बैठकर सोचना होगा और तेज़ी से बदलते हालात का मुक़ाबला करने के लिए कुछ अलग करना होगा।