ईरान की सिक्योरिटी कौंसिल की दावत पर अपनी एक दिन की ईरान यात्रा पर गए राष्ट्रिय सुरक्षा सलहकार अजीत डोभाल ने दोनों देशों से जुड़े आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों के साथ ही बेहद अहम् इलाक़ाई और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत की।
ईरान की सिक्योरिटी कौंसिल के चीफ अली शमख़ानी ने इस मुलाक़ात में कहा कि ईरान और भारत के आपसी रिश्ते किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं हैं। न ही हमारे रिश्ते किसी तीसरे देश के प्रभाव में आने वाले हैं हमारे रिश्तों पर किसी तीसरे पक्ष का कोई असर नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल लेवल पर तेज़ी से बदलते हालात ने आज दोनों देशों के बीच सहयोग के बहुत से दरवाज़े खोल दिए हैं ईरान और भारत एनर्जी, ट्रांसपोर्टेशन, ट्रांजिट, टेक्नोलॉजी और बैंकिंग जैसे कई मैदानों में आपसी सहयोग को नई उंचाईयों पर ले जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों को आपसी कारोबार में अपनी अपनी करेंसी को जगह देना होगी हमे रियाल-रुपया मैकेनिज्म एक्टिव करना होगा। अगर ऐसा हो जाता है तो यह हमारे साझा मक़सद को आगे बढ़ाने और अपने हदफ़ को हासिल करने में बेहद मददगार और फैसलाकुन साबित होगा।
ईरानी NSA अली शमख़ानी ने भारत के सहयोग से डेवलप किये जा रहे चाबहार बंदरगाह के बारे में बात करते हुए कहा कि चाबहार प्रोजेक्ट के मामले में आपसी तालमेल और सहयोग की राह में आने वाली मुश्किलों को दूर करने का फैसला, मौजूदा हालत को बदलने में मददगार साबित होगा और अभी तो एक ठहराव सा आ गया है उस से आगे बढ़ सकेंगे।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि आज़ाद और संप्रभु देशों को दुनिया के तेज़ी से बदलते हालात पर नज़र रखते हुए अपनी अंदरूनी सलाहियतों पर भरोसा करते हुए इलाक़ाई और अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर एक दूसरे का सहयोग करने के लिए कमर कस लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चाबहार हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हम चाबहार को ईरान के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग शुरू करने का दरवाज़ा मानते हैं और इस सिलसिले में जो भी रुकावटें और मुश्किलें हैं उन्हें दूर करने के लिए तैयार हैं।
ग़ौर तलब है कि
पाकिस्तान और चीन के बीच कराची के पास ग्वादर बंदरगाह की काट के लिए भारत और ईरान ने मिलकर चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का फैसला किया है। चाबहार के रास्ते भारत मध्य एशिया तक आसानी से अपनी पहुंचा बनाते हुए वहां के बाजार और कारोबार में अपने क़दम मज़बूती से जमा सकता है।