AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
सोमवार

10 अप्रैल 2023

7:34:08 pm
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इस्राईल ने खींचे कदम पीछे, हिज़्बुल्लाह और प्रतिरोधी दलों का सामना नहीं करना चाहता।

एक बार फिर इस्राईल में कम से कम 130 हज़ार लोगों ने सैकड़ों पर उतरकर ज़ायोनी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की वहीँ दूसरी ओर प्रतिरोधी दलों की ओर से कड़ी कार्रवाई के डर ने इस मोर्चे पर भी इस्राईल को अपने क़दम पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया।

इस्राईल में जहां लगातार सरकार विरोधी प्रदर्शन बढ़ते जा रहे हैं वहीँ इस संकट से निकलने के लिए मस्जिदे अक़्सा और ग़ज़्ज़ा पर बमबारी की साज़िशें भी नेतन्याहू के लिए काम नहीं आयी। एक बार फिर इस्राईल में कम से कम 130 हज़ार लोगों ने सैकड़ों पर उतरकर ज़ायोनी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की वहीँ दूसरी ओर प्रतिरोधी दलों की ओर से कड़ी कार्रवाई के डर ने इस मोर्चे पर भी इस्राईल को अपने क़दम पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया। 

अरब जगत के विख्यात विश्लेषक अब्दुल बारी अतवान ने कहा कि अमेरिका के सहयोग के बिना भी ईरान को वीरान करने की डींगे हांकने वाले ज़ायोनी प्रधानमंत्री हिज़्बुल्लाह का सामना करने से भी डर गए। ऐसे में वह कैसे ईरान का सामना करेंगे जो बहुत बड़ी मिसाइल और ड्रोन पावर है। 

अब्दुल बारी ने कहा कि हिज़्बुल्लाह ने एक भी मिसाल फायर किये बिना यह जंग जीत ली, दक्षिणी लेबनान और ग़ज़्ज़ा से इस्राईल पर कम से कम 70 मिसाइल दाग़े गए। इस्राईल ने जवाब में हमले तो किये लेकिन यह हमले या तो खेतों पर किये गए या उन इलाक़ों में जहाँ कोई जानी नुकसान न हो और इन हमलों के साथ ही इस्राईल ने सुलह का झंडा उठा लिए कि हम हिज़्बुल्लाह से कोई टकराव नहीं चाहते और उसके बचाव में सुलह कराने के लिए अरब देश सामने आ भी गए।  

नेतन्याहू इस बात को अच्छी तरह समझ रहे हैं कि ज़ायोनी सेना की कार्रवाई और इन हमलों में अगर लेबनान और फिलिस्तीन का कोई नागरिक शहीद होता है तो यह इस्राईल के लिए बहुत महंगा साबित होगा। क्योंकि प्रतिरोधी मोर्चे की ओर से सीरिया, लेबनान, और ईरान में शहीद होने वाले लोगों और मस्जिदे अक़्सा में एतेकाफ़ करने वाले फिलिस्तीनियों के समर्थन के लिए सख्त फैसला ले लिया गया है। 

फिलिस्तीन के हालिया घटनाक्रम पर इस्राईल के पूर्व युद्धमंत्री लिबरमैन का वह बयान सबसे सटीक है जिसमे इस ज़ायोनी राजनेता ने कहा कि लेबनान और फिलिस्तीन की ओर से किये गए हमलों पर इस्राईल का जवाब एक घिनौना मज़ाक़ था। इस्राईल अंदर से तबाह और बाहरी मोर्चे पर अलग थलग हो रहा है। हम हिज़्बुल्लाह के मुक़ाबले में अपनी रेस्ट्राइनिंग पावर खो चुके हैं। 

फिलिस्तीन के हालिया संकट ने कई बातें साफ़ कर दी हैं। हिज़्बुल्लाह ने यह मोर्चा बिना कोई मिसाइल फायर किये जीत लिया साथ ही 2006 में हुए हिज़्बुल्लाह इस्राईल वॉर के बाद दक्षिणी लेबनान में पहले बार खुले मोर्चे से इस्राईल और साम्राज्यवाद के लिए साफ़ मैसेज भी चला गया कि हिज़्बुल्लाह या प्रतिरोधी दलों का मैदान और दुश्मन ही एक नहीं बल्कि उनकी ताक़त और मिसाइलें भी एक ही हैं। और अब किसी जंग का फैसला इस्राईल या नेतन्याहू के हाथ में नहीं बल्कि रेज़िस्टेंस के हाथ में है और मस्जिदे अक़्सा इसका एक अहम् कारण हो सकती है। 

प्रतिरोधी मोर्चे ने एक बार फिर 

इजराइल और अमेरिकन डिफेंस इंडस्ट्री का प्राइड कहलाने वाले आयरन डोम की धज्जियाँ उड़ा कर रख दी। दक्षिण लेबनान और ग़ज़्ज़ा से दाग़ी गई 70 में से 30 मिसाइलों ने अपने टारगेट को कामयाबी से हिट किया। यह खबर अमेरिका और इस्राईल की डिफेंस इंडस्ट्री के लिए किसी गहरे सदमे से कम नहीं है। इस मिसाइल डिफेन्स सिस्टम के बहुत से संभावित खरीदार, खास कर मिडिल ईस्ट के इलाक़ाई देश और यूक्रेन अब इसे खरीदने में शायद ही दिलचस्पी दिखाएं। 

शायद यह नयी रणनीति थी और पहली बार भी, जब ग़ज़्ज़ा और लेबनन से फायर की गई मिसाइल की ज़िम्मेदारी किसी भी दल ने क़ुबूल नहीं की। जबकि यह बात अटल है कि हिज़्बुल्लाह की बिना मर्ज़ी के दक्षिणी लेबनान से मिसाइल तो क्या एक गोली भी नहीं दाग़ी जा सकती।

जंग खत्म नहीं हुई, बहुत संभव है कि आज ही कोई बड़ा टकराव हो जब ज़ायोनी उन्मादी मस्जिद पर हमला करने और क़ुर्बानी के लिए जानवर ले जाने की तैयारियां कर रहे हैं। बहर हाल, हालात का ऊँट किसी भी करवट बैठे, लेकिन फिलिस्तीन से लेकर लेबनान तक प्रतिरोधी मोर्चा इस बार इस्राईल से हिसाब बराबर करने के लिए पूरी तरह तैयार है।