3 सितंबर 2021 - 18:40
लेबनान के साहिल के क़रीब जा पहुंचे ईरानी तेल टैंकर, ईरानी-लेबनानी संयुक्त आप्रेशन रूम हर स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार! क्या करेगा अमरीका? नसरुल्लाह की जीत हर हाल में तय!

लेबनान की सरकार और जनता दोनों को ईरान के पहले तेल टैंकर का इंतेज़ार था ताकि इस देश को ईंधन के संकट से बाहर निकाला जा सके। साथ ही यह भी देखने के लिए सब उत्सुक थे कि अमरीका और इस्राईल अपनी धमकियों पर अमल करते हुए ईरानी तेल टैंकर को निशाना बनाते हैं या नहीं?

हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने अपने घटक ईरान से तत्काल मदद की अपील करते हुए तेल और पेट्रोल-डीज़ल की मांग की क्योंकि ईंधन न होने की वजह से अस्पतालों तक में बिजली सप्लाई रुक गई है।

हिज़्बुल्लाह ने तेल, पेट्रोल और डीज़ल इमपोर्ट करने के लिए एक कंपनी रजिस्टर कराई जो तेल का आयात करने के साथ ही उसके वितरण का काम भी करेगी और हर वर्ग और हर समुदाय को तेल उपलब्ध कराएगी।

ईरान के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि तेल टैंकर लेबनान भेजने का फ़ैसला एक संप्रभु फ़ैसला है, अमरीका इस स्थिति में नहीं है कि ईरान के क़ानूनी व्यापार का रास्ता रोक सके।

हमें जो जानकारियां मिली हैं उनके अनुसार हिज़्बुल्लाह और ईरान की आईआरजीसी फ़ोर्स ने संयुक्त आप्रेशन रूम बना लिया है जो इस पूरे प्रकरण को संभाल रहा है और हर स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

आज कल ईरान और लेबनान में दो संभावनाओं पर बहुत चर्चा हो रही है। एक तो यह कि ईरानी तेल टैंकर लगातार लेबनान के तट पर पहुंचेंगे और वहां अपनी खेप उतारेंगे या फिर सीरिया की बानियास बंदरगाह पर ईंधन की खेप ख़ाली करेंगे जिसके बाद सड़क के रास्ते यह ईंधन लेबनान जाएगा। वैसे हमें भी यही लगता है कि यह टैंकर बानियास में लंगर डालेंगे।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने अमरीका और इस्राईल के गठबंधन को बहुत गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि जब से यह तेल टैंकर अपना सफ़र शुरू करेंगे उसी समय से उन्हें लेबनानी धरती का हिस्सा समझा जाएगा। यानी अगर उनके ख़िलाफ़ कोई हमला हुआ तो इसे लेबनान पर हमला माना जाएगा और इसके जवाब में तत्काल हमला किया जाएगा।

अमरीका और इस्राईल इससे पहले सीरिया जाने वाले ईरान का तेल टैंकर रोक नहीं पाए थे और न ही वेनेज़ोएला ईंधन ले जाने वाले ईरानी तेल टैंकरों को अमरीका रोक सका था। इसी तरह हमें नहीं लगता कि इस बार भी अमरीका या इस्राईल कोई दुस्साहस कर सकेंगे। वैसे भी अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका को शर्मनाक हार मिलने के बाद से वाइट हाउस के हौसले पस्त हैं।

ईरान के तेल टैंकर पर हमला करने का सीधा मतलब ईरान और हिज़्बुल्लाह को तेल टैंकरों की जंग की दावत देना है। इससे पहले अमरीका और इस्राईल को इस लड़ाई में ईरान से शिकस्त मिल चुकी है। कुछ महीने पहले ओमान सागर में इस्राईली जहाज़ पर हमला हो गया तो अमरीकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा कि सारे देश सामूहिक रूप से इस हमले का जवाब दें लेकिन किसी भी देश ने अमरीकी विदेश मंत्री के बयान पर ध्यान नहीं दिया।

लेबनान के मनोनीत प्रधानमंत्री नजीब मीक़ाती ने हाल ही में आलोचकों का जवाब देते हुए कहा कि हमें जब तक विकल्प नहीं मिलेगा हम ईरान से तेल का आयात हरगिज़ नहीं रोकेंगे।

इस पूरे प्रकरण में सैयद हसन नसरुल्लाह की बड़ी जीत होने जा रही है चाहे यह तेल टैंकर सुरक्षित लेबनान तक पहुंचें या न पहुंचें। क्योंकि वह इस कठिन घड़ी में लेबनान के लिए संकट मोचक साबित हुए हैं और उन्होंने लेबनान की संप्रभुता की रक्षा की है।

हम तो पहले भी कह चुके हैं कि अमरीका की शिकस्तों का दौर शुरू हो चुका है, शुरुआत अफ़ग़ानिस्तान से हुई है और यह सिलसिला इराक़ और सीरिया से होता हुआ फ़िलिस्तीन तक पहुंचेगा, शायद इस शिकस्त का अगला पड़ाव लेबनान हो।

अब्दुल बारी अतवान

अरब जगत के विख्यात लेखक व टीकाकार