हमने रवायतों में देखा और पढ़ा है कि मासूम इमामों की ज़िंदगी अल्लाह की राह में जिहाद की तस्वीर है। इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम से लेकर ग्यारहवें इमाम, हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम तक जिहाद का अंदाज़ एक है। यह एक सिलसिला है जो शुरू से आख़िर तक लगातार कोशिश और जिद्दो-जेहद का सिलसिला है। यह वक़्त की जालिम हुकूमत के ख़िलाफ़ और हुकूमत से जुड़े लोगों के ख़िलाफ़ लड़ाई और संघर्ष है।
हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई
किताब: हमरज़्माने हुसैन अलैहिस्सलाम، पेज 349
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