قال الصادق علیه السلام:
إنَّ لِصاحِبِ هذا الأمرِ غَیبَةً، المُتَمَسِّكُ فيها بِدینِهِ كَالخارِطِ لِلقَتاد.
الکافی، جلد ۱، صفحه ۳۳۵
.इमाम सादिक़ अ
निःसंदेह, इस अम्र के मालिक (इमाम महदी अलैहिस्सलाम) के लिए ग़ैबत है, लिहाज़ा जो कोई इस मुद्दत में अपने दीन पर मजबूती से साबित कदम रहता है, वह उस इंसान की तरह है जो अपने हाथों से क़ुताद (एक काँटेदार दरख्त) को उखाड़ फेंकता है।
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