बहरैन की आले खलीफा तानाशाही ने विख्यात धर्मगुरु शैख हसन अल क़स्साब को आशूरा के जुलूस में हिस्सा लेने के जुर्म में मानामा के अल -नईम पुलिस केंद्र में पूछताछ करने के तलब किया है। यह कदम धार्मिक स्वतंत्रता को दबाने की प्रक्रिया का हिस्सा माना जा रहा है। इस घटना के बाद एक बार फिर बहरैन मे आले खलीफा तानाशाही के खिलाफ जनाक्रोश फाइल गया ।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस घटना का कारण संभवतः "आई विल टेक रिवेंज" नामक एक धार्मिक समारोह में शैख की भागीदारी थी, जो मनामा के केंद्र में अतीक अली मस्जिद में आयोजित गया था और यह पारंपरिक आशूरा प्रोग्राम का हिस्सा है।
इमाम हुसैन की शहादत की याद मे होने वाले शोक समारोहों में होने वाले कार्यक्रमों में यह बहरैन के सबसे लोकप्रिय प्रोग्राम में से एक है।
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