5 जून 2025 - 06:07
इस्लामोफोबिया की आग नामों तक पहुंची, उर्दु में लिखे नाम नामंजूर

राष्ट्रीय सनातन महासंघ ने केंद्रिय रेलवे को एक पत्र लेखा है, जिसमें रेलवे स्टेशनों का नाम उर्दू में लिखने पर आपत्ति जताते हुए सिर्फ हिंदी भाषा में लिखने की मांग की है।

भारत मे जारी इस्लामोफोबिया की लहर अब रेलवे स्टेशनों पर उर्दू में लिखे नामों तक पहुँच गई है। रेलवे स्टेशनों का नाम उर्दू में लिखने के खिलाफ एक हिंदूवादी संगठन ने आपत्ति जाताई है, और मांग की गई है कि स्टेशन का नाम सिर्फ हिंदी में लिखना होगा। इस संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि स्टेशन का नाम उर्दू में होने पर इस्लामिक शहर का आभाष होता है। 

इस से पहले भी देखा गया है कि देश भर में उर्दू नाम वाले कई रोड और रेलवे स्टेशनों का नाम बदल दिया गया। अब इस प्रकार की राजनीति और मांग अपनी आकार बढ़ा रही है। ताजा विवाद रेलवे स्टेशन्स का नाम उर्दू भाषा में लिखने से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय सनातन महासंघ नाम के एक हिंदूवादी संगठन ने उर्दू भाषा के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है, और किसी भी पत्र या रेलवे स्टेशनों का नाम सिर्फ राज भाषा हिंदी में लिखने की मांग की है। 

राष्ट्रीय सनातन महासंघ ने केंद्रिय रेलवे को एक पत्र लेखा है, जिसमें रेलवे स्टेशनों का नाम उर्दू में लिखने पर आपत्ति जताते हुए सिर्फ हिंदी भाषा में लिखने की मांग की है। इस संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कौशल किशोर का कहना है कि स्टेशन्स का नाम उर्दू में लिखा देखकर उन्हें इस्लिामिक शहर का आभास होता है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि उर्दू में लिखा नाम स्वीकार्य नहीं है। 

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