गज़्ज़ा मे ज़ायोनी सेना की दरिंदगी थमने का नाम नहीं ले रही है बमबारी और नाकाबंदी के बीच जो बच्चे ज़्ज़ायोनी सेना के हाथों से बच जा रहे हैं उन्हे भूख मार दे रही है। गज़्ज़ा पट्टी के खान यूनुस अस्पताल के एक वार्ड में पांच वर्षीय बालक ओसामा अपने जर्जर बन चुके शरीर के साथ बिस्तर पर लेटा हुआ है। "वह भूख का मुकाबला करने में असमर्थ है और उसका जीवन खतरे में है।"
उसकी पसलियों को बाहर निकलता देखना एक दर्दनाक मंज़र है; यह ज़ायोनी नाकाबंदी के कारण गज़्ज़ा पर थोपी गई दुखद मानवीय स्थिति का नमूना भर है। इस घेराबंदी में, कब्जाधारियों ने 50 दिनों से अधिक समय तक भोजन और चिकित्सा सहायता को क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक रखा है।
गज़्ज़ा में गंभीर कुपोषण से हजारों बच्चों का जीवन खतरे में है। ओसामा जैसे बच्चों की पीड़ा सिर्फ समाचार रिपोर्टों में दर्ज संख्याएं नहीं हैं, बल्कि इन बच्चों की मासूम निगाहों और मदद के लिए उनकी खामोश पुकार में छिपी त्रासदी है।
ओसामा की जान बचाने की डॉक्टर्स पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि समस्या अभी भी बनी हुई है, क्योंकि भूख का कोई इलाज नहीं है। इस घेराबंदी के दौरान, न तो दवाइयां और न ही भोजन गज़्ज़ा में पहुंच पा रहा है!
खान यूनुस स्थित नासिर अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं में कुपोषण के कारण गर्भपात की दर दोगुनी हो गई है, जिसके कारण शिशु मृत्यु दर भी बढ़ गई है।
नासिर अस्पताल के बाल रोग विभाग के प्रमुख डॉ. अहमद अल-फराह ने अल-आलम न्यूज़ को बताया, "स्थिति बहुत खतरनाक और भयावह है।"
उन्होंने कहा, " ज़ायोनी सेना ने जबसे युद्ध विराम का उल्लंघन किया है, तब से हालात और भयावह हो गए हैं। क्रॉसिंग पूरी तरह से बंद कर दी गई है और खाद्य, चिकित्सा उपकरण और ईंधन सहित किसी भी मानवीय सहायता को सीमा से गुजरने की अनुमति नहीं दी जा रही है।"
गज़्ज़ा के अस्पतालों में हार्ड कुपोषण के 65,000 मामले दर्ज किये गये हैं तथा प्रतिदिन 11 लाख बच्चे भूख से पीड़ित हैं।
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