29 अप्रैल 2024 - 05:19
अहले बैत के पैग़ाम को आम करना मुबल्लिग़ की ज़िम्मेदारी, दुश्मन चाहता है दीन पर अमल न हो

आज, पश्चिमी लोगों के हाथों में मीडिया पॉवर है। वह अहल-अल-बैत (अस) के अनुयायियों को हिंसक रूप में पेश कर रहे है। हालाँकि, अहल अल-बैत (अ.स) के अनुयायी और उनका मत प्यार और दयालुता है। यह सब साज़िशें इसलिए हैं क्योंकि अहल अल-बैत की विचारधारा के मानने वाले और उनके अनुयायी अत्याचार, शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध करते हैं।

ब्राज़ील के मुसलमानों की दावत पर "इस्लाम संवाद और जीवन का धर्म" शीर्षक के साथ आयोजित होने वाली कांफ्रेंस में भाग लेने के लिए इस देश पहुंचे अहले बैत वर्ल्ड इस्लामिक असेंबली के जनरल सेक्रेटरी आयतुल्लाह रज़ा रमज़ानी ने इस सम्मेलन के मौके पर लैटिन अमेरिकी धार्मिक केंद्रों के विद्वानों और प्रबंधकों की सभा में भाग लिया।

इस सम्मलेन में अपने बयान में उन्होंने कहा कि अल्हम्दुलिल्लाह अल्लाह ने हमें अहले-बैत अस से परिचित कराया। मुल्ला अब्दुल रज्जाक लाहीजी ने इमाम अली (अ.स.) के बारे में एक अनोखी व्याख्या की है कि इमाम अली (अ.स.) रसूले इस्लाम (स.अ.) की तरबियत का चमत्कार थे।

आयतुल्लाह रमज़ानी ने कहा कि हमे एक महान घटना का सामना करना पड़ा कि इस्लाम सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में ज़ाहिर हुआ है जबकि किसी ने भी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा। इस्लामी क्रांति की सफलता से पहले ही एक पश्चिमी सिद्धांतकार ने कहा था, ''अब दुनिया में कभी भी कोई धार्मिक क्रांति नहीं होगी जो क्रांति भी होगी वह सेक्युलर और धर्मनिरपेक्ष होंगी।

अहले बैत वर्ल्ड इस्लामिक असेंबली के सदस्यों के साथ एक मीटिंग में आयतुल्लाह खमेनेई ने कहा कि दुनिया के उज्जवल भविष्य के लिए हम मकतबे अहले बैत के अनुयायियों को एक माहौल बनाना चाहिए। जिसके लिए हमे अहले बैत अलैहिमुस्सलाम की तालीम और सिद्धांतों का सहारा लेते हुए उन्हें आम करना है ताकि अत्याचार और उत्पीड़न का मुक़ाबला किया जा सके।

आयतुल्लाह रमजानी ने कहा कि आज, पश्चिमी लोगों के हाथों में मीडिया पॉवर है। वह अहल-अल-बैत (अस) के अनुयायियों को हिंसक रूप में पेश कर रहे है। हालाँकि, अहल अल-बैत (अ.स) के अनुयायी और उनका मत प्यार और दयालुता है। यह सब साज़िशें इसलिए हैं क्योंकि अहल अल-बैत की विचारधारा के मानने वाले और उनके अनुयायी अत्याचार, शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध करते हैं।

उन्होंने कहा कि आज ज़रूरत है कि हम दुनिया को अहले बैत (अ.स.) से परिचित कराएं। हम किसी को शिया बनाने के लिए नहीं आए हालाँकि हम पर ऐसे आरोप लगते हैं। अगर कोई ईसाई किसी जगह शिया भी होता है तो हम यह न कहें कि हमने किसी को शिया किया है बल्कि कहें कि हमने एक ईसाई को अहले बैत (अ.स.) से परिचित और आशना कराया है। यह उसकी मर्ज़ी है कि शिया हो या न हो। हमारा काम अहले बैत (अ.स.) के पैग़ाम, उनके सिद्धांत और तालीम को आम करना है।