संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति बिन ज़ाएद ने रविवार
को सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद की मेज़बानी की थी। सीरिया संकट के शुरुआत में ही
दमिश्क़ विरोधी ताक़तों के सबसे बड़े सहयोगी देशों में शामिल यूएई ने आतंकवाद के खिलाफ
दमिश्क़ की निर्णायक जीत के बाद पाला बदलते हुए सीरिया से सिर्फ अपने रिश्ते ही बहाल
नहीं किये बल्कि वह सीरिया और अरब देशों के बिगड़े रिश्ते सुधारने में भी अहम् किरदार
निभा रहा है।
एक साल से भी कम अर्से में सीरिया के राष्ट्रपति ने दूसरी बार संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया जिस पर अमेरिका तिलमिला गया है और साफ़ शब्दों में फिर से ऐलान किया कि हम दमिश्क़ से रिश्तें बहाल करने के सख्त खिलाफ हैं।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने अरब जगत की सीरिया की ओर पलटने पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि हम न तो खुद असद सरकार के साथ रिश्ते बहाल करने के पक्ष में हैं न ही किसी और को ऐसा करने की सलाह देंगे। ख़ास कर उस समय तो हम किसी के भी दमिश्क़ से रिश्ते बहाल करने की बात से सहमत नहीं हैं जब सीरिया संकट के राजनैतिक समाधान के लिए कोई बातचीत आगे नहीं बढ़ी है।
सीरिया के खिलाफ अमानवीय पाबंदियां लगाने वाले अमेरिका प्रायोजित आतंकवाद की आग में जल रही इस देश की जनता के बारे में घड़ियाली आंसू बहाते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम दमिश्क़ के साथ सहयोग करने वाले देशों से कहना चाहते हैं कि वह देखें और सच्चाई के साथ फैसला करें कि किस तरह बिना किसी भेदभाव के सीरिया के अलग अलग हिस्सों में रहने वाले लोगों की भलाई के लिए काम कर सकते हैं।
बता दें कि अमेरिका के तमाम दबाव और साफ ऐलान के बाद भी रविवार को असद की मेज़बानी कर रहे यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन ज़ाएद आले नाह्यान ने खुले शब्दों में कहा है कि अब वक़्त आ गया है कि दमिश्क़ फिर से अरब जगत में पलट आए। सिर्फ अरब देश ही नहीं बल्कि सीरिया संकट की आग में सबसे ज़्यादा घी डालने वाले अर्दोग़ान भी पिछले काफी समय से दमिश्क़ के साथ अपने रिश्ते सुधारने के लिए कोशिश कर रहे हैं और असद से मुलाक़ात को लेकर सार्वजनिक मंच से दुहाई लगा चुके हैं।