रविवार को अफ़ग़ान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों ने दोहा में वार्ता का नया दौर शुरू किया है, जिसके बाद अफ़ग़ानिस्तान में जारी संघर्ष के राजनीतिक समाधान के लिए एक उम्मीद जागी है।

ईदुल अज़हा या बक़रईद से पहले अपने संदेश में आख़ूंदज़ादा ने कहाः सैन्य प्रगति के बावजूद, अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी अमीरात (तालिबान शासन) देश में राजनीतिक समाधान का भरपूर समर्थन करती है।
उन्होंने आगे कहाः इस्लामी व्यवस्था की स्थापना, शांति और सुरक्षा के लिए इस्लामी अमीरात पूरा प्रयास करेगी।
अफ़ग़ानिस्तान से अमरीकी और नाटो सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान ने ज़्यादा से ज़्यादा इलाक़ों पर क़ब्ज़ा करने के लिए व्यापक हमले शुरू कर दिए हैं, जिससे किसी भी राजनीतिक समाधान के लिए उम्मीदें धूमिल होती जा रही थीं, लेकिन तालिबान नेता के ताज़ा बयान से संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए एक मद्धम सी उम्मीद फिर जगी है।
दोनों पक्षों ने शनिवार को फिर से क़तर की राजधानी दोहा में बातचीत शुरू की है।
तालिबान नेता ने कहा है कि उनका गुट लड़ाई को ख़त्म करने और किसी समाधान तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन उनके विरोधी (काबुल सरकार) समय बर्बाद कर रहे हैं।
पिछले साल 29 फ़रवरी को अमरीका और तालिबान के बीच समझौता होने के बाद अफ़ग़ानिस्तान के विभिन्न गुटों के बीच बातचीत की शुरुआत हुई थी, लेकिन 10 महीनों तक चली बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला था और बातचीत बंद कर दी गई थी। लेकिन अब दोनों पक्षों के बीच दोबारा बातचीत शुरू हुई है।
हालांकि तालिबान नेता के संदेश में ईद के अवसर पर कहीं भी संघर्ष विराम की बात नहीं कही गई है।