औरत

  • इस्लाम में औरत का महत्व (3)

    इस्लाम में औरत का महत्व (3)

    शादी इंसानी ज़िन्दगी का महत्वपूर्ण मोड़ है जब दो इंसान अलग जेन्डर से होने के बावजूद एक दूसरे की ज़िन्दगी में सम्पूर्ण रूप से दख़ील हो जाते हैं और हर को दूसरे की ज़िम्मेदारी और उसके भावनाओं का पूरे तौर पर ख़्याल रखना पड़ता है। इख़्तिलाफ़ के आधार पर हालात और स्वभाव की मांगें भिन्न होती हैं लेकिन हर इंसान को दूसरे के भावनाओं के दृष्टिगत अपनी भावनाओं और एहसास की सम्पूर्ण क़ुरबानी देनी पड़ती है।

  • इस्लाम में औरत का महत्व (2)

    इस्लाम में औरत का महत्व (2)

    उसकी निशानियों में से एक यह है कि उसने तुम्हारा जोड़ा तुम ही में से पैदा किया है ताकि तुम्हे उससे ज़िन्दगी का सुकून हासिल हो और फिर तुम्हारे बीच मुहब्बत व रहमत की भावना बताया है। आयते करीमा में दो अहम बातों की तरफ़ इशारा किया गया है

  • इस्लाम में औरत का महत्व (1)

    इस्लाम में औरत का महत्व (1)

    इस्लाम में औरत के महत्व को जानने से पहले इस बात पर ध्यान देना चाहिये कि इस्लाम ने इन बातों को उस समय पेश किया जब बाप अपनी बेटी को ज़िन्दा दफ़्न कर देता था और उस कुरूरता को अपने लिये सम्मान और सम्मान का कारण समझता था। औरत दुनिया के हर समाज में बहुत मूल्यहीन प्राणी समझा जाता था।