लीबिया में दो पुराने बांध टूट गए जिसके बाद देर्ना शहर पर तूफ़ान का एसा हमला हुआ कि शहर की एक चौथाई इमारतें बह गईं और बीस हज़ार से अधिक लोग हताहत और लापता हो गए।
विशेषज्ञ अब राय दे रहे हैं कि अगर बांध की हालत पर ध्यान दिया गया होता तो इस भयानक त्रास्दी को रोका जा सकता था।
ठोस रिपोर्टें तो नहीं मिल सकी हैं लेकिन आम चर्चा यह है कि दोनों बांधों की देखभाल में भारी कोताही की गई जिसका नतीजा यह हुआ कि डैनियल चक्रवात को यह बांध रोक नहीं पाए और शहर तबाह हो गया।
एसोशिएटेड प्रेस ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें एक सासल पहले संबंधित विभागों ने चेतावनी दी थी कि दोनों बांधों की हालत ख़राब है लेकिन इनकी मरम्मत के लिए कुछ नहीं किया गया।
यह बांध 1970 के दशक में बनाए गए थे जब दुनिया भर में बहुत सारे बांधों का निर्माण किया गया था। उस समय सालाना हज़ार बांध दुनिया में बनाए जा रहे थे।
विशेषज्ञ मानते हैं कि उस समय बनाए गए अधिकतर बांध अब अपनी आयु पूरी कर चुके हैं जिससे दुनिया के कई स्थानों पर लीबिया जैसी त्रास्दी की आशंका है क्योंकि ज़रूरी है कि इन बांधों का पुनरनिर्माण किया जाए या उनसे निजात हासिल कर ली जाए।
जो बांध ख़तरनाक स्थिति में हैं उनमें अधिकतर भारत, चीन और अमरीका में हैं। चीन और भारत में बांधों की संख्या 28 हज़ार है जो पुराने हो चुके हैं।
भारत के केरल राज्य में एक बांध सौ साल से अधिक पुराना हो चुका है। अगर इस बांध को बड़ा नुक़सान पहुंचा तो लगभग 35 लाख लोगों की जान ख़तरे में पड़ जाएगी।
बांधों की भारी संख्या में अमरीका दुनिया में दूसरे स्थान पर है, पहले स्थान पर चीन है। अमरीका में बनाए गए बांधों की आयु औसतन 65 साल हो चुकी है। अमरीका में लगभग 200 बांध ख़तरे की स्थिति में हैं।
अमरीका ने बांधों की देखभाल और मरम्मत के लिए 3 अरब डालर की रक़म आवंटित की है लेकिन विशेष कहते हैं कि यह रक़म कम है। इन बांधों के पुनरनिर्माण के लिए 76 अरब डालर की ज़रूरत है।
मौसम का परिवर्तन भी इस त्रास्दी का मुख्य कारण माना जाता है।