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source : ابنا
सोमवार

21 अगस्त 2023

6:32:19 am
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मुज़फ़्फ़रपुर, हसन चक बंगरा का तारीखी प्रोग्राम, हज़ारों लोगों ने की शिरकत

इमाम ने मदीना के गवर्नर के सामने ये कह कर के मुझ जैसा यज़ीद जैसे की बैअत नहीं कर सकता साफ़ कर दिया के जो इलाही नुमाइंदा होता है न वो दौलत की ताकत से मुतास्सिर होता है और ना ही हुकूमत की ताकत उसको डिगा सकती है।


मुज़फ्फरपुर: इस्लाम के मतलब ही सलामती है और जो भी इसलाम का मानने वाला है उसके दिल में अल्लाह के हर बन्दे के लिए हमदर्दी और रहम होगा। इस्लाम का साफ अलफ़ाज़ में पैग़ाम है कुरान मे आयात मौजूद है के जिसने एक इंसान की जान बचाई उसने पूरी नस्ले इंसानी की हिफाजत की और किसी ने अगर एक बेगुनाह की जान ली गोया उसने पूरी इंसानियत का खून किया। जिस मज़हब में जानवरों तक के हुकूक का खयाल रखा है वो मज़हब इंसानों के लिए कितना मेहरबान होगा इसको अल्फ़ाज़ मे बयान नहीं किया जा सकता। ये बातें मौलाना असद यावर ने हसन चक बंगरा में अंजुमने हाशिमिया की जानिब से मुनअक़िद प्रोग्राम ' मजलूमे करबला का मातम ' से खिताब करते हुए कहीं।

उन्होंने कहा की इमाम हुसैन ने अपने ऊपर ज़ुल्म बर्दाश्त किया पर किसी पर भी मामूली सा भी ज़ुल्म नहीं किया। हमको इमाम की सीरत से सीख लेना चाहिए और ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद करना चाहिए और ज़ालिम किसी भी वेशभूषा या बड़े मनसब पर हो उसके खिलाफ आवाज़ बुलंद करना चाहिए। मौलाना ने अपनी तक़रीर में कहा कि इमाम हुसैन ने यज़ीद जैसे ज़ालिम हुक्मरान की बैअत को ठुकरा दिया और इमाम ने मदीना के गवर्नर के सामने ये कह कर के मुझ जैसा यज़ीद जैसे की बैअत नहीं कर सकता साफ़ कर दिया के जो इलाही नुमाइंदा होता है न वो दौलत की ताकत से मुतास्सिर होता है और ना ही हुकूमत की ताकत उसको डिगा सकती है।

इमाम हुसैन ने बैअत का इंकार कर किरदार और बदकिरदारी के फ़र्क़ को ज़ाहिर कर दिया। इमाम ने यज़ीद की बैअत का इंकार किया और 28 रजब सन 60 हिजरी को मदीना छोड कर औरतों और बच्चों के साथ निकल पड़े। इमाम का काफला मुहर्रम की दो तारीख को कर्बला के मैदान में पहुंचा जहाँ इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों ने जान की क़ुर्बानी पेश की।

 मौलाना ने इमाम हुसैन और हज़रते अब्बास की शहादत का ज़िक्र करते हुए कहा कि हज़रत अब्बास इमाम के लश्कर के अलमदार थे जिन्होंने वफ़ादारी की ऐसी मिसाल पेश की कि दरिया पर क़ब्ज़ा तो किया लेकिन इमाम और उनके बच्चों की प्यास को याद कर पानी चुल्लू में लेने के बाद भी होठों से नहीं लगाया। और पानी बच्चों तक पहुंचाने के लिए दोनों हाथ कटा कर शहीद हुए। हजरत अब्बास ने ईमाम हुसैन की 4 साल की बेटी हजरत सकीना से पानी का वादा किया था लेकिन उस बच्ची तक पानी नहीं पहुंचा सके। जिसकी वजह से उन्होने अपनी लाश खैमे तक नहीं ले जाने की बात की।

इस मौके पर सोजखानी शाह अब्बास हुसैन मुन्ना, आफताब जाफरी, शब्बर हुसैन नकवी ने की। पेशखानी मुबारक जलालपुरी, यासिर अब्बास यावर ने की। इस जुलूस में अंजुमने अंसारे हुसैनी रजिस्टर्ड बनारस,अंजुमन हुसैनिया पटना, अंजुमने जाफरिया कमरा चंदवारा , अंजुमने कारवाने किसा ब्रह्मपुरा ने नौहा खानी की।

जुलूस में हज़रत अब्बास का अलम,जुलजनाह की शबीह की ज़ियारत कराई गयी। निजामत यावर हुसैन , आफताब जाफरी, वसीम अब्बास ने की । जुलूस कर्बला पहुँचा तो नौहा और मातम के बाद अंजुमन के सचिव मेहदी हसन ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

बतात चलें कि 8 सफर बेमुताबिक़ 27 अगस्त को हुसैनिया अल्हाज नवाब सय्यद मोहम्मद तक़ी खान मुज़फ्फर पुर का  तारीखी प्रोग्राम 72 ताबूत होगा जिसमें मक़ामी और बैरुनी नौहा खां और मातमी अंजुमनें हिस्सा लेंगी।