25 जुलाई 2023 - 17:32
क्षेत्रीय संगठनों में ईरान की बढ़ती भूमिका, अगला क़दम ब्रिक्स

ब्रिक्स के मित्र देशों की बैठक दक्षिणी अफ़्रीक़ा के जोहानेसबर्ग 24 जुलाई को शुरू हुई और इस्लामी गणराज्य ईरान जो इससे पहले इस संगठन में सदस्यता का आवेदन कर चुका है, इस बैठक में शामिल है।

ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली अकबर अहमदियान ने ब्रिक्स के मित्र देशों की बैठक में भाषण देने के साथ ही इसके इतर अपने समकक्षों से मुलाक़ातें कर रहे हैं। ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिणी अफ़्रीक़ा ब्रिक्स के सदस्य देश हैं।

ब्रिक्स के सदस्य देशों में आर्थिक और औद्योगिक परिवर्तनों की प्रक्रिया को देखकर यह पता चलता है कि यह उभरती अर्थ व्यवस्थाओं का संगठन है जो बदल रहे वर्ल्ड आर्डर में बड़ी भूमिका निभाने में सक्षम है। इस समय 22 देशों ने ब्रिक्स में सदस्यता के लिए आवेदन किया है जबकि अन्य 22 देशों ने भी इसमें सदस्यता में दिलचस्पी दिखाई है।

ईरान उन देशों में है जिन्होंने सबसे पहले ब्रिक्स में सदस्यता के लिए अपनी रुचि ज़ाहिर की मगर ब्रिक्स के देश अब तक नए सदस्यों के लिए मानकों का निर्धारण नहीं कर सके हैं। जीडीपी, जनसंख्या, क्षेत्रफल, प्राकृतिक संसाधन, क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक व सुरक्षा पोज़ीशन तथा सदस्य देशों के साथ ताल्लुक़ात जैसे मानक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। अब तक सभी सदस्य देशों ने ईरान की सदस्यता का समर्थन और स्वागत किया है। ख़ास तौर पर चीन और रूस ने ज़ोर दिया है कि ईरान उन देशों में है जिनके पास ब्रिक्स की सदस्यता की आवश्यक क्षमताएं मौजूद हैं।

इस्लामी गणराज्य ईरान हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन का सदस्य बना है और अब ब्रिक्स में शामिल होना क्षेत्रीय संगठनों में ईरान की मज़बूत राजनैतिक और व्यापारिक भागीदारी का क़दम होगा। ब्रिक्स में दुनिया की आधी आबादी है और दुनिया की अर्थ व्यवस्था का 25 से 28 प्रतिशत भाग इन देशों के पास है और विश्व अर्थ व्यवस्था में इसकी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए ईरान के लिए जो अमरीका की एकपक्षीय ग़ैर क़ानूनी पाबंदियों के निशाने पर है ब्रिक्स बहुत अच्छा मंच साबित हो सकता है।

दूसरी तरफ़ ईरान ऊर्जा का बहुत महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता देश है और ब्रिक्स के लिए बड़ी मददगार भूमिका निभा सकता है। ईरान की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए वह व्यापार के लिए ट्रांज़िट का बहुत अच्छा मार्ग बनेगा। ईरान और रूस जैसे देश जो अमरीकी पाबंदियों का सामना कर रहे हैं ब्रिक्स के दायरे में अमरीकी डालर से दूर रहते हुए व्यापार कर सकते हैं। ब्रिक्स ने अपने अलग बैंक की स्थापना भी कर दी है। यह एक मल्टी नेश्नल डेवलपमेंटल बैंक है जो स्विफ़्ट की जगह ले सकता है।

ब्रिक्स में ईरान की सदस्यता इस देश की अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी बढ़ाने में भी मदद करेगी और इससे क्षेत्रीय तनाव को भी कम करने में मदद मिलेगी। ईरान अपने आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक विकास के लिए भी ब्रिक्स की क्षमताओं का उपयोग कर सकेगा।

ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने इससे पहले जून 2022 में ब्रिक्स की वर्चुअल शिखर बैठक में जो चीन की मेज़बानी में हुआ थी कहा था कि एकपक्षीय पाबंदियां, एकपक्षीयवाद जैसी चुनौतियों को देखते हुए लगता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ साथ नए संगठनों का सशक्तीकरण ज़रूरी है ताकि देशों की संप्रभुता का सम्मान करते हुए मानव समाज के संयुक्त भविष्य लिए ठोस क़दम उठाए जा सकें।