3 जून 2023 - 18:51
इमाम ख़ुमैनी की बर्सी और उसका वैश्विक प्रभाव

इस्लामी क्रांति और इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था के संस्थापक व वास्तुकार इमाम ख़ुमैनी की बर्सी मनाई जा रही है। यह मौक़ा होता है जब इमाम ख़ुमैनी की राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक विचारधारा और ख़ुद इमाम ख़ुमैनी के व्यक्तित्व के बारे में बहुत से बिंदु चर्चा में आते हैं।

इमाम ख़ुमैनी के व्यक्तित्व की बड़ी ख़ास बात जो आज तक विश्व स्तर पर अपनी ख़ास पहचान रखती है उनके विचारों का गहरा असर है। इस पर आज भी दुनिया के अलग अलग गलियारों में बहसें होती हैं और उनको सराहा जाता है। इमाम ख़ुमैनी मुसलमानों के नेता और वरिष्ठ धर्मगुरु थे लेकिन उनके विचारों का असर ग़ैर मुस्लिम समाजों और गलियारों में भी साफ़ तौर पर देखा गया। इमाम ख़ुमैनी को दुनिया में ख़ास सम्मान की नज़र से देखा जाता है। बीसवीं शताब्दी की एकध्रुवीय व्यवस्था को चुनौती देने वाले हालात को अस्तित्व में लाने में इमाम ख़ुमैनी के रोल को कोई भी नकार नहीं सकता।

इमाम ख़ुमैनी के विचारों का बहुत गहरा असर भारतीय उपमहाद्वीप पर पड़ा। पाकिस्तान हो, भारत हो, बांग्लादेश हो या अन्य देश इमाम खुमैनी के विचारों की छाप और उनके आंदोलन को सराहने वाले हर जगह नज़र आते हैं।

राजनैतिक विशलेषक अब्बास फ़ैयाज़ कहते हैं कि इमाम ख़ुमैनी के विचार उन हालात में वैचारिक दुनिया के आसमान पर सितारों की तरह चमके जब अलग अलग इस्लामी मत विश्व स्तर पर इस्लामी विचारों और उसूलों को सही रूप में पेश कर पाने में अक्षम थे।

इस्लामी क्रांति जब सफलता हुई तो उस समय इस्लामी गलियारों में भी बहुत से लोगों को यही लगता था कि इस आंदोलन का सफल होना मुमकिन नहीं है क्योंकि उन्हें इमाम ख़ुमैनी के विचारों की सत्यता का बख़ूबी अंदाज़ा नहीं था। इस उस दुनिया दो ब्लाकों में बटी हुई थी और किसी को यह नहीं लगता था कि इन दो ब्लाकों से आज़ाद रहते हुए कोई आंदोलन कामयाब हो सकता है। मगर इमाम ख़ुमैनी ने विशुद्ध इस्लामी विचारों को आधार बनाकर देश की जनता को एकजुट किया और विश्व साम्राज्यवाद को चुनौती दे दी। इमाम ख़ुमैनी ने यह भी साबित किया कि इस्लामी विचारों और अल्लाह की मदद के भरोसे कठिन से कठिन आंदोलन को कामयाब किया जा सकता है और उपयोगी शासन व्यवस्था की रचना भी की जा सकती है।

राजनैतिक टीकाकार अली ख़ज़ाई का मानना है कि ईरान में इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में इस्लामी क्रांति तब सफल हुई जब इस्लामी दुनिया में बहुत से विषय अनसुलझे पड़े थे जिनमें सबसे बड़ा मसला फ़िलिस्तीन पर ज़ायोनी शासन का ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़ा था। इमाम ख़ुमैनी के विचारों और आंदोलन की सफलता से इस्लामी आंदोलनों को नया जज़्बा मिला। आज सारी दुनिया देख रही है कि फ़िलिस्तीन में हालात किस तरह बदलते जा रहे हैं।

इमाम ख़ुमैनी के आंदोलन ने इस्लामी जगत को बांटने के साम्राज्यवद के मंसूबे को भी नाकाम बनाया।

इमाम ख़ुमैनी के विचारों का असर और गहराई इतनी ज़्यादा थी कि पाकिस्तान जैसे देशों में इस लहर को रोकने के लिए चरमपंथी संगठन बनाए गए जो इमाम ख़ुमैनी के विचारों के प्रवाह को रोक सकें मगर आज स्थिति यही है कि चरमपंथी विचारों को आम जनता ने नकारा और इमाम ख़ुमैनी की विचारधारा लगातार अपना दायरा विस्तृत करती जा रही है इसलिए कि गुज़रते समय के साथ इस विचारधारा की सत्यता और उपयोगिता अधिक स्पष्ट होती जा रही है।

342/