AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
सोमवार

28 नवंबर 2022

6:31:26 pm
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भारतीय सुप्रीम कोर्ट और मोदी सरकार में बढ़ता टकराव, केंद्रीय क़ानून मंत्री के बयान ने खड़ा किया नया विवाद

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के तंत्र पर ताज़ा हमला करते हुए मोदी सरकार में केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने अपने ताज़ा बयान में कहा कि भारतीय संविधान के लिए कॉलेजियम प्रणाली एलियन है और देश के लोगों द्वारा इसका समर्थन नहीं किया जाता है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारतीय सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए की गई विभिन्न नामों की सिफ़ारिश वाली फाइलों को रोके जाने संबंधी आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मोदी सरकार में केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ऐसा कभी नहीं कहा जाना चाहिए कि सरकार जजों की नियुक्ति में बाधा उत्पन्न कर रही है, वरना फिर सरकार को फाइल ही न भेजें, ख़ुद ही नियुक्ति कर लें। एक कार्यक्रम के दौरान किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह उस कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों पर केवल हस्ताक्षर कर दे या मंज़ूरी दे दे, जिसका निर्माण जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं की ही बुद्धिमता से एक अदालती आदेश के माध्यम से किया था। उन्होंने कहा, ‘अगर आप ऐसी उम्मीद करते हैं कि सरकार सिर्फ इसलिए जज के रूप में सुझाए गए नामों पर हस्ताक्षर कर देगी, क्योंकि उनकी सिफारिश कॉलेजियम द्वारा की गई है, तो फिर सरकार की भूमिका क्या है?’ केंद्रीय क़ानून मंत्री ने कहा कि सरकार कॉलेजियम प्रणाली का सम्मान करती है और यह तब तक करती रहेगी, जब तक कि कोई बेहतर व्यवस्था इसका स्थान नहीं लेती है।

सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की विभिन्न सिफारिशों पर सरकार के ‘बैठे रहने’ संबंधी आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कानून मंत्री रिजिजू ने कहा कि ऐसा कभी नहीं कहा जाना चाहिए कि सरकार फाइलों पर बैठी हुई है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा कभी न कहें कि सरकार फाइलों पर चुप्पी साधे बैठी हुई है, वरना फिर सरकार को फाइल ही न भेजें, आप खुद नियुक्त कर लें, आप ही सब करें फिर। व्यवस्था इस तरह नहीं चलती। कार्यपालिका और न्यायपालिका को साथ मिलकर काम करना होता है।’ इस बीच कानून मंत्री रिजिजू के इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। एक संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान क़ानून मंत्री की टिप्पणी पर असहमति व्यक्त करते हुए जस्टिस एसके कौल ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमानी से कहा, ‘समस्या यही है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ़ से निर्धारित क़ानूनी प्रक्रिया का पालन करने को सरकारी तैयार नहीं है। ऐसी बातों का दूरहामी असर पड़ता है।’ जस्टिस कौल ने कहा कि सरकार नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमीशन (एनजेएसी) प्रणाली को लागू नहीं करने से नाराज़ नज़र आ रही है। क्या कॉलेजियम की सिफारिशें वापस लेने का यह एक कारण हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘आम तौर पर, हम प्रेस में दिए गए बयानों पर ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन मुद्दा यह है कि नामों को मंज़ूरी नहीं दी जा रही है। सिस्टम कैसे काम करता है? हमने अपनी पीड़ा व्यक्त की है।’ बता दें कि मोदी सरकार के केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू पिछले कुछ समय से न्यायपालिका, सुप्रीम कोर्ट और कॉलेजियम प्रणाली पर लगातार हमले कर रहे हैं। (RZ)

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