अल-आलम नेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसार, बहरैन के न्याय मंत्रालय और इस्लामी मामलों के विभाग ने, मंगलवार की रात एक बयान जारी करके घोषणा की है कि कोरोना से मुक़ाबले की समिति की सिफ़ारिशों के आधार पर मस्जिदों को नमाज़ और धार्मिक आयोजनों के लिए बंद करने का फ़ैसला किया गया है।
बहरैन के न्याय मंत्रालय और इस्लामी मामलों के विभाग का कहना है कि यह आदेश 11 फ़रवरी से दो हफ़्ते के लिए लागू रहेगा।
ग़ौरतलब है कि अल-ख़लीफ़ा शासन द्वारा कार्यकर्ताओं और प्रदर्शनकारियों के दमन और उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ाएं दिए जाने के बावजूद, आंदोलनकारी अपने नागरिक अधिकारों और देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना के अपने लक्ष्य के लिए डटे हुए हैं।
14 फ़रवरी 2011 से बहरैन में तानाशाही और अत्याचारों के ख़िलाफ़ आंदोलन जारी है।
अब तक आले ख़लीफ़ा शासन 11 हज़ार से ज़्यादा नागरिकों को गिरफ़्तार कर चुका है और उनमें से एक बड़ी संख्या की नागरिकता छीनकर, देश से निष्कासित किया जा चुका है।