AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
सोमवार

9 मार्च 2020

6:40:06 pm
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यमन के अलजौफ़ प्रांत पर सेना और अंसारुल्लाह आंदोलन का क़ब्ज़ा समीकरणों को उलट पलट देने वाली घटना है, अब मारिब की बारी है जहां है

यमन में जारी लड़ाई में एक तरफ़ यमन की सेना और अंसारुल्लाह आंदोलन है जो बहुत मज़बूत स्थित में है और दूसरी ओर सऊदी अरब द्वारा बनाया गया एलायंस और उसके वह यमनी गुट हैं जिनकी मदद से सऊदी अरब यमन की लड़ाई जीत लेने की कोशिश कर रहा है।

इन गुटों में यमन में राष्ट्रपति पद से त्यागपत्र देकर सऊदी अरब फ़रार हो जाने वाले और सऊदी अरब को यमन पर हमले की दावत देने वाले यमनी नेता मंसूर हादी का गुट भी है।

हालिया दिनों इस गुट को यमन के जौफ़ प्रांत में बहुत बड़ी नाकामी का सामना उस समय करना पड़ा जब इस प्रांत के केन्द्र तथा अन्य इलाक़ों को यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों ने आज़ाद करा लिया। इन दिनों मंसूर हादी और उनके पूरे नेटवर्क को बड़े कठिन हालात का सामना है क्योंकि उनके लोगों में बिखराव देखने में आ रहा है। जौफ़ में पराजय का मुंह देखने के बाद अब उन्हें बड़ी तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।

यमन युद्ध के संदर्भ में हालिया दिनों तीन घटनाएं बेहद महत्वपूर्ण हुईं। पहली घटना लाल सागर के तट पर यंबो शहर में सऊदी अरब की आरामको कंपनी के प्रतिष्ठानों पर यमनी सेना और स्वयंसेवी बलों का क्रूज़ मिसाइलों और ड्रोन विमानों से किया गया बड़ा हमला है। यह हमला सऊदी अरब के तेल उद्योग की रीढ़ की हड्डे समझे जाने वाले बक़ैक़ और ख़रैस में आरामको कंपनी के प्रतिष्ठानों पर मिसाइल और ड्रोन हमलों के कुछ महीने बाद हुआ है।

दूसरी घटना यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों का जौफ़ प्रांत पर नियंत्रण और साथ ही पड़ोसी प्रांत मारिब के बहुत से इलाक़ों पर उसका क़ब्ज़ा है जहां तेल के कुएं और भंडार हैं।

तीसरी घटना मंसूर हादी और उनके सहयोगी जनरल अली मोहसिन अलअहमर के गठबंधन में पड़ने वाली दरार है। हालत यह है कि अहमद अबीद बिन दग़र जैसे उनके क़रीबी लोग अब उनकी कड़ी आलोचना कर रहे हैं। बिन दग़र ने अपने एक ट्वीट में कहा कि जौफ़ प्रांत के हाथ से निकल जाने के बाद मंसूर हादी की सेना ध्वस्त हो चुकी है और यमन में ताक़त का संतुलन हूतियों के पक्ष में और क्षेत्रीय स्तर पर ईरान के पक्ष में जा चुका है।

इन घटनाओं के बीच सऊदी गठबंधन के युद्धक विमानों ने यमन की हुदैदा बंदरगाह पर हमला किया और सऊदी गठबंधन के प्रवक्ता तुर्की अलमालेकी ने दावा किया कि इस हमले में बैलिस्टिक मिसाइलों और विस्फोटक से भरी नौकाओं के भंडारों को निशाना बनाया गया है। लेकिन अंसारुल्लाह के अधिकारियों ने बताया कि जौफ़ की आज़ादी और आरामको कंपनी के प्रतिष्ठानों पर हमले से सऊदी अरब बेहद आक्रोश में है और इसी आक्रोश के कारण वह अंधाधुंध बमबारी कर रहा है।

यमन के मामलों में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष दूत मार्टिन ग्रीफ़िथ्स ने मारिब शहर का दौरा किया और प्रांत के गवर्नर सुलतान अलअरावह से मुलाक़ात करके मांग की कि इस शहर को वह लड़ाई से दूर रखें। इससे पता चलता है कि अमरीका और ब्रिटेन की चिंता बहुत बढ़ गई है क्योंकि दोनों देशों की तेल कंपनियां इसी शहर में काम कर रही हैं जहां तेल और गैस के भंडार मौजूद हैं। यदि जौफ़ के बाद मारिब प्रांत भी अंसारुल्लाह या हूती आंदोलन के हाथों में चला जाता है तो सऊदी अरब द्वारा समर्थित गुटों के हाथ से तेल और गैस के भंडार निकल जाएंगे और दूसरी ओर यह भंडार अंसारुल्लाह के हाथ में पहुंच जाएंगे जिससे अंसारुल्लाह की स्थिति और भी मज़बूत हो जाएगी।

जौफ़ की पराजय और इससे पहले नेहम के इलाक़े में मिलने वाली पराजय सऊदी एलायंस पर पड़ने वाला बहुत बड़ा वार है अगर मारिब पर भी अंसारुल्लाह का नियंत्रण हो गया तो सऊदी गठबंधन के अंत की उलटी गिनती शुरू हो जाएगी। बल्कि शायद यमन पर थोपा गया सऊदी अरब युद्ध भी समाप्त हो जाए जिसका छठां साल आने वाले दिनों में शुरू होने वाला है।

रायुल यौम से इनपुट्स के साथ