25 दिसंबर 2025 - 13:21
दोस्ती का सलीका

जो ..... ग़लतियाँ बर्दाश्त न कर सके वह आखिर में बिल्कुल अकेला.....

:امام على عليه ‏السلام

مَن لم يَحْتَمِلْ زَلَلَ الصَّديقِ ماتَ وحيدا؛

 [غرر الحكم، ح 9079]

كسى كه لغزشهاى دوست را تحمّل نكند [به تدريج از آنها مى‌بُرد و] تنها مى‏‌ميرد.

अमीरुल् मोमेनीन हज़रत अली अ.स. 

जो अपने दोस्त की ग़लतियाँ बर्दाश्त न कर सके वह अकेला मरता है। यानि आखिर में बिल्कुल अकेला पड़ जाता है 

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