ईरान पर इस्राईल के आतंकी हमलों के बीच अमेरिका के बर्बर हमलों के बाद ईरान ने अमेरिका को जवाब देने की बात कही है। इसी बीच ईरान के एक संभावित फैसले ने ही दुनिया को हिलाकर रख दिया है। ईरान ने न सिर्फ मुंह तोड़ जवाब की धमकी दी है बल्कि फारस की खाड़ी और अरब सागर को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण हुर्मुज जलडमरूमध्य (स्ट्रैट ऑफ हुर्मुज) को बंद करने की चेतावनी देकर पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है।
ईरान की इस चेतावनी का सबसे बड़ा प्रभाव वैश्विक तेल आपूर्ति पर पड़ सकता है क्योंकि विश्व का लगभग 20 फीसदी तेल और गैस इसी संकरे समुद्री रास्ते से होकर गुजरता है। ईरानी संसद द्वारा इस फैसले को समर्थन दिए जाने के बाद अमेरिका खुद दबाव में आ गया है और उसने चीन से सहायता के लिए गुहार लगाई है।
होर्मुज जलडमरूमध्य, जो फारस की खाड़ी को अरब सागर और ओमान की खाड़ी से जोड़ता है, वैश्विक तेल व्यापार की जीवनरेखा है। इसके उत्तर में ईरान और दक्षिण में ओमान मौजूद है। यह जलसंधि 167 किमी लंबी और 33 से 60 किमी चौड़ी है।। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन के अनुसार, 2022 में इस मार्ग से प्रतिदिन औसतन 21 मिलियन बैरल तेल और तेल उत्पादों का परिवहन हुआ, जो वैश्विक कच्चे तेल व्यापार का लगभग 21% है।
ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को हुर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के बारे में अंतिम निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि संसद ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ईरानी सांसद और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कमांडर इस्माइल कोसरी ने पत्रकारों को बताया कि ऐसा करना एजेंडे में है और ‘जब भी आवश्यक होगा, ऐसा किया जाएगा।
हुर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को हिंद महासागर से जोड़ता है । किसी भी तरह की नाकाबंदी से तेल की कीमतें बढ़ेंगी। भारत के तेल आयात का दो तिहाई से ज़्यादा हिस्सा और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) आयात का लगभग आधा हिस्सा हुर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। Mint की रिपोर्ट के मुताबिक भारत हर दिन 5.5 मिलियन बैरल तेल की खपत करता है, जिसमें से 1.5 मिलियन बैरल जलमार्ग से होकर गुज़रता है। तेल की कीमतें बढ़ेंगी, मुद्रास्फीति बढ़ेगी और एक अनुमान है कि कच्चे तेल की कीमत में प्रत्येक दस डॉलर की वृद्धि से भारत के सकल घरेलू उत्पाद को 0.5 प्रतिशत का नुकसान होगा।
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