24 जून 2025 - 18:10
लेबनान या सीरिया नहीं है ईरान, जरा सी हरकत का भी देंगे मुंहतोड़ जवाब 

सार्वजनिक रूप से यह भी घोषणा की गई कि यह वर्ष इस्लामी गणराज्य पर अंतिम प्रहार और उसके भाग्य निर्धारण का वर्ष है, और इसे ईरानी राष्ट्र के भाग्य को स्पष्ट करना चाहिए। इसी टाइम ट्रम्प राष्ट्रपति बन जाते हैं और ईरान से मिसाइल तकनीक और परमाणु संवर्धन को शून्य तक कम करने की मांग करते हैं।

ईरान की संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेश नीति समिति के उपाध्यक्ष महमूद नबवियान ने ईरान द्वारा क़तर के अल-उदीदह बेस और इस्राईल् पर किए गए मुंहतोड़ जवाबी हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी सेना द्वारा किए गए भारी हमले को देखकर ट्रंप ने शांति की भीख मांगी; दुश्मन को पता होना चाहिए कि हम लेबनान, सीरिया या किसी अन्य देश की तरह नहीं हैं। हम सतर्क हैं और अगर हम पर जरा सा भी हमला हुआ तो हमारी प्रतिक्रिया पहले से भी ज्यादा सख्त होगी।

महमूद नबवियान ने एक टेलीविजन साक्षात्कार में कहा कि वह दुश्मन पर जीत के लिए ईरानी राष्ट्र को बधाई देते हैं। पिछले साल से ही दुश्मन की अपने हिसाब से गणनाएं थीं हम घटनाओं की एक श्रृंखला का सामना कर रहे हैं। पिछले साल अप्रैल में सीरिया में ईरानी वाणिज्य दूतावास में सरदार जाहेदी और कुछ अन्य लोग शहीद हो गए थे, जिसके बाद ऑपरेशन सादिक 1 को अंजाम दिया गया था। फिर शहीद रईसी की शहादत के बाद राष्ट्रपति चुनाव हुए और उसके बाद शहीद हनिया की हत्या कर दी गई और फिर ऑपरेशन सादिक 2 हुआ और शहीद नसरुल्लाह और अन्य व्यक्तियों की शहादत हुई। उन्होंने याद दिलाया कि क्षेत्र में इन घटनाओं का मतलब है कि दुश्मन लगभग दो साल से ईरानी राष्ट्र और प्रतिरोध मोर्चे के साथ युद्ध कर रहा है।

महमूद नबवियान ने कहा कि इन घटनाओं के दौरान, दुश्मन इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि वह जीत नहीं सकता, इसलिए उसने प्रतिरोध मोर्चे के नेताओं की हत्या कर दी, इसलिए उसने शहीद ज़ाहेदी, शहीद नसरुल्लाह और शहीद हनिया को शहीद कर दिया। दुश्मन को धीरे-धीरे यह विश्वास हो गया कि प्रतिरोध धुरी के नेताओं को शारीरिक रूप से खत्म करने से क्षेत्र में ईरानी राष्ट्र के गौहर नष्ट हो गए। ज़ायोनी शासन ने पिछले साल देश के अंदर हम पर हमला किया और सोचा कि हमारे पास कोई बचाव नहीं है, इसलिए उसने अराजकता पैदा करने के बारे में सोचा, यह सोचकर कि आर्थिक समस्याओं और ऊर्जा असंतुलन के कारण लोग उसका समर्थन करेंगे, और यहाँ तक कि जातीय समूहों और महिलाओं का उपयोग करने के बारे में भी दुश्मन पीछे नहीं रहा।

उन्होंने कहा कि दुश्मन की साजिश क्षेत्र और देश के अंदर ही ईरान को कमज़ोरी के चरम पर पहुँचाने की थी।  सार्वजनिक रूप से यह भी घोषणा की गई कि यह वर्ष इस्लामी गणराज्य पर अंतिम प्रहार और उसके भाग्य निर्धारण का वर्ष है, और इसे ईरानी राष्ट्र के भाग्य को स्पष्ट करना चाहिए। इसी टाइम ट्रम्प राष्ट्रपति बन जाते हैं और ईरान से मिसाइल तकनीक और परमाणु संवर्धन को शून्य तक कम करने की मांग करते हैं।

इसी सोच के साथ दुश्मन ने पूरी ताकत से हम पर हमला किया। नेतन्याहू ने अपने लक्ष्यों को ईरान के परमाणु उद्योग का विनाश, देश की मिसाइल क्षमताओं का विनाश और इस्लामी शासन को उखाड़ फेंकना बताया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने सीधे मदद की, और जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड और यहां तक ​​कि नाटो ने भी हस्तक्षेप किया। युद्ध के बीच में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने सीधे ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया।

उन्होंने पूछा कि क्या दुश्मन ने अपने लक्ष्य हासिल कर लिए ? "क्या हमारा परमाणु कार्यक्रम बर्बाद हो गया है? यदि सेंट्रीफ्यूज क्षतिग्रस्त भी हो जाते हैं या बर्बाद भी हो गए होंगे तो हम उन्हे दोबारा बना लेंगे क्योंकि हमने पहले भी वह किसी और से नहीं लिए थे हमारे पास यह तकनीक है और पहले भी हम इस मामले मे आत्मनिर्भर थे। 

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