ईरान में सरकारी विभागों से लेकर जनता तक आईएईए प्रमख के खिलाफ भीषण आक्रोश भड़क हुआ है। उसे ज़ायोनी एजेंट से लेकर मोसाद का जासूस तक कहा जा रहा है। ऐसे मे आईएईए प्रमख की पक्षपाती और झूटी रिपोर्ट तथा ईरान पर ज़ायोनी सेना के आतंकी हमले के बाद स्वीकारोक्ति और एजेंसी की तरफ से अब तक इन हमलों की निंदा भी ना किया जाना ऐसे कई कारण हैं जिसकी वजह से उसके खिलाफ ग़ुस्सा और बढ़ता ही जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र मे ईरान के दूत इरवानी ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को खत लिखते हुए आईएईए प्रमख के खिलाफ औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज कराई है।
इस पत्र मे कहा गया है कि आईएईए प्रमख ने ईरान पर ज़ायोनी हमले से कई दिन पहले ही संदिग्ध बयानबाजी शुरू कर दी थी जो उनके कर्तव्य और दायित्व तथा निष्पक्ष रहने का घोर उल्लंघन है।
9 जून को बबही बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग से पहले भी उसने इस्राईल की चिंताओं को मद्दे नजर रखने की बात कही जबकि ईरान के परमाणु स्थलों के लिए ज्याओनी खतरे और उसकी धमकियों को सिरे से नजर अंदाज कर दिया यह सब जब हहुआ जब खुद आईएईए अपनी रिपोर्ट में ईरान के परमाणु हथियार बनाने जाने की कोशिशों की बातों को नकार चुका है।
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