19 मार्च 2025 - 15:39
शबे क़द्र के आमाल

उन्नीसवीं और इक्कीसवीं शब के उपर दिये गऐ आमाल के अलावा सौ मरतबा (अल्लाहुल अन कतलता अमीरिल मोमेनीन) भी पढ़े

1) इन रातो मे गुस्ल करना सुन्नते मुअक्केदा है।

2) दो रकत नमाज़ सुबह की तरह पढ़ी जाऐ और हर रकत मे सात मरतबा क़ुलहो वल्लाहो अहद पढ़ी जाऐ और नमाज़ तमाम करे

3) नमाज़ के बाद सत्तर (70) मरतबा असतग़ फिरुल्लाह व अतुबो इलेह पढ़े।

4) कुरआने मजीद को हाथ मे लेकर चेहरे के सामने खोले और इस तरह दुआ पढ़ेः अल्लाहुम्मा इन्नी असअलोका बेकिताबेकल मुनज़ले व मा फिहे व फीहिस्मोकल अकबरो व असमाओकल हुस्ना। वमा युखाफो व युरजा। अनतजअलनी मिन उताकाऐका मिनन नार।

इस के बाद दुआ मांगे।

और फिर कुरआन को सर पर रखे और पढ़ेः अल्लाहुम्मा बेहक्के हाज़ल क़ुरआने व बेहक़्क़े मन अरसलताहु व बेहक़्क़े कुल्ला मोमेनिन मदहताहु फिहे व बेहक़्क़े का अलैहिम फला अहदा आरफो बेहक़्क़े मिनका बेका या अल्लाह। बेका या अल्लाह। बेका या अल्लाह। बेका या अल्लाह। बेका या अल्लाह। बेका या अल्लाह। बेका या अल्लाह। बेका या अल्लाह। बेका या अल्लाह। बेका या अल्लाह।

फिर दस मरतबा कहेः बेमुहम्मादिन।

फिर दस मरतबा कहेः बे अलीयीन।

फिर दस मरतबा कहेः बे फातेमाता।

फिर दस मरतबा कहेः बिलहसने।

फिर दस मरतबा कहेः बिलहुसैने।

फिर दस मरतबा कहेः बे अलीयिबने हुसैन।

फिर दस मरतबा कहेः बे मौहम्मद इब्ने अली।

फिर दस मरतबा कहेः बे जाफर इब्ने मौहम्मद।

फिर दस मरतबा कहेः बे मूसा इब्ने जाफर।

फिर दस मरतबा कहेः बे इली इब्ने मूसा

फिर दस मरतबा कहेः बे मौहम्मद इब्ने अली

फिर दस मरतबा कहेः बे अली इब्ने मौहम्मद।

फिर दस मरतबा कहेः बिल हसन इब्ने अली।

फिर दस मरतबा कहेः बिल हुज्जतिल क़ायेमे (अ.स)।

उस बाद कुरान को हाथो मे ले और दुआ मांग कर रख दे।

5) इन रातो मे ज़ियारते इमाम हुसैन पढ़ने की बहुत ज्यादा ताकीद की गई है।

6) ज़्यादा से ज़्याजा सलवात पढ़े।

7) दुआऐ जौशन कबीर और जौशन सग़ीर पढ़े।

8) पूरी रात जागते रहे और दुआऐ पढ़ते रहे।

उन्नीसवीं और इक्कीसवीं शब के उपर दिये गऐ आमाल के अलावा सौ मरतबा (अल्लाहुल अन कतलता अमीरिल मोमेनीन) भी पढ़े।

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