:قال رسول الله صلی الله علیه وآله
.أَيْنَ مِثْلُ خَدِيجَةَ صَدَّقَتْنِي حِينَ كَذَّبَنِي النَّاسُ وَ وَازَرَتْنِي عَلَى دِينِ اللَّهِ وَ أَعَانَتْنِي عَلَيْهِ بِمَالِهَا إِنَّ اللَّهَ عَزَّ وَ جَلَّ أَمَرَنِي أَنْ أُبَشِّرَ خَدِيجَةَ بِبَيْتٍ فِي الْجَنَّةِ مِنْ قَصَبِ الزُّمُرُّدِ لَا صَخَبَ فِيهِ وَ لَا نَصَب
بحارالانوار: ج 43، ص 131
रसूले इस्लाम स.अ.
ख़दीजा की तरह कौन हो सकता है ? जब लोग मुझे झुठला रहे थे तो उसने मेरी सदाक़त का इकरार किया और अल्लाह के दीन की तरक्की मे अपने माल से मेरी मदद की। खुदा ने मुझे हुक्म दिया है कि उसे जन्नत मे उसके जमुर्रद के महल की खुशखबरी सुनाऊँ कि उसे वहाँ उस मे किसी तरह का रंज होगा ना जहमत।
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