फिलिस्तीनी अवाम और हमास ने जबरन विस्थापन की अमेरिकी योजना को ठुकरा दिया, तो अब एक नई योजना सामने आई है, ग़ज़्ज़ा की पुनर्निर्माण योजना, जिसमें वहां के लोग अपने घरों में ही रहेंगे। यह योजना 27 फरवरी को अरब लीग समिट में पेश की जाएगी और इसे ट्रंप की योजना के विकल्प के रूप में रखा जाएगा।
इस योजना का सबसे अहम पहलू यह है कि ग़ज़्ज़ा के प्रशासन से हमास को पूरी तरह बाहर कर दिया जाए। भले ही सऊदी अरब ने सीधे तौर पर इसका समर्थन नहीं किया, लेकिन UAE के वरिष्ठ सलाहकार अनवर गरगाश ने इसे "उचित और तार्किक" बताया है।
हालांकि इस योजना को "अरब पहल" कहा जा रहा है, लेकिन इसके पहलुओं को देखने पर साफ़ हो जाता है कि यह वास्तव में अमेरिका और इस्राईल की तैयार की हुई साज़िश है, जिसे मिस्र और अरब देशों के नाम से पेश किया जा रहा है।
मिस्री योजना के अहेम प्वाइंट्सग़ज़्ज़ा का पुनर्निर्माण अगले 3 से 5 साल में होगा, लेकिन स्थानीय लोग अपने घरों में ही रहेंगे। योजना दो चरणों में लागू होगी, पहले मलबा हटाया जाएगा फिर आवासीय इमारतों का पुनर्निर्माण होगा। यह काम ग़ज़्ज़ा के दक्षिणी हिस्से रफ़ह से शुरू होकर पूरे क्षेत्र तक फैलेगा। योजना मिस्री सेना और सुरक्षा बलों के नियंत्रण में होगी, जबकि खाड़ी देशों की फंडिंग से इसका खर्च उठाया जाएगा। फिलिस्तीनी प्रशासन मिस्र के अधीन होगा न कि फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी के तहत। हमास को पूरी तरह बाहर किया जाएगा, ताकि भविष्य में कोई प्रतिरोध न हो सके।
अरब दुनिया में विरोध
अरब जगत के कई राजनीतिक विश्लेषकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे खतरनाक अमेरिकी-इस्राईली साज़िश बताया है। मिस्री राजनीतिक कार्यकर्ता इज़्ज़ुद्दीन दावेदार ने इसे "ट्रंप की दिखावटी धमकियों से भी ज्यादा खतरनाक" करार दिया।
सैन्य ताकत के नाम पर हमास का सफायामिस्र ग़ज़्ज़ा पर सैन्य और सुरक्षा नियंत्रण स्थापित करेगा, मिस्र की सेना और पुलिस ग़ज़्ज़ा की सुरक्षा संभालेंगी, लेकिन इस्राईल के खिलाफ़ नहीं, बल्कि हमास के खिलाफ! ग़ज़्ज़ा में सुरक्षा बलों की विशाल मौजूदगी, नए शहरों का निर्माण और हमास की सैन्य क्षमता को खत्म करना इस योजना के अहम हिस्से हैं।
सुरक्षा के नाम पर साज़िश
अरब देशों के मीडिया में इसे "अरब एकता की जीत" बताया जाएगा और कहा जाएगा कि यह "अमेरिकी दबाव का बहादुरी से जवाब" है। लेकिन असल में यह पूरी योजना इस्राईल के लिए दशकों तक ग़ज़्ज़ा से ख़तरा ख़त्म करने की रणनीति है।
फिलिस्तीनी प्रतिरोध के खिलाफ युद्धहमास और अन्य प्रतिरोधी गुटों को इस योजना के तहत अरब देशों के ही समर्थन से खत्म करने की कोशिश की जाएगी। पुनर्निर्माण के बदले हथियार छोड़ने की शर्त रखी जाएगी, ताकि ग़ज़्ज़ा को भविष्य में इस्राईल के खिलाफ़ संघर्ष से दूर किया जा सके।
नतीजायह योजना दिखने में अरब देशों की पहल लगती है, लेकिन हकीकत में यह इस्राईल-अमेरिका की लिखी हुई पटकथा है, जिसे मिस्री सरकार और खाड़ी देश लागू कर रहे हैं, फ़िलिस्तीन के भविष्य को दांव पर लगाकर यह अरब सत्ता प्रतिष्ठान की नई ग़ुलामी का सबूत है।
