12 दिसंबर 2020 - 17:37
ईरान की एटमी डील पर यूरोपीय देशों ने कितना अमल किया और कैसे धोखे दिए? व्यवहारिक रूप से देखा जाए तो यूरोप परमाणु समझौते से निकल चुका है!

हालांकि अमरीका की ट्रम्प सरकार ने परमाणु समझौते का पालन नहीं किया और इस डील से वह निकल गई लेकिन ईरान की जनता को यह तर्कसंगत अपेक्षा थी कि यूरोपीय सरकारें परमाणु समझौते के तहत अपने वादों पर अमल करने के साथ ही इससे एक पक्षीय रूप से अमरीका के निकल जाने से होने वाले नुक़सान की भरपाई भी करतीं। मगर अच्छा ख़ासा वक़्त गुज़र जाने के बाद भी यह नहीं हो पाया।

ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई की वेबसाइट Khamenei.ir ने परमाणु मसले में यूरोपीय सरकारों की ओर से तर्कहीन शर्तें रखे जाने के मद्देनज़र परमाणु समझौते के तहत इन सरकारों की वादाख़ेलाफ़ी के बारे में आयतुल्लाह ख़ामेनई के संबोधनों के कुछ चुनिन्दा भागों को प्रकाशित किया।

परमाणु डील के तहत यूरोप की क्या ज़िम्मेदारियां हैं?

आप यूरोप को देख रहे हैं? यह यूरोपीय देश तो अमरीका से अलग थे। उनसे तो हमारा कोई विवाद नहीं था। उनसे तो हमारा कोई मतभेद नहीं था। इनमें कुछ से तो हमारे अच्छे दोस्ताना संबंध थे। आप देख रहे हैं कि उन्होंने एटमी डील के मसले में, इसके तहत अपनी प्रतिबद्धताओं के बारे में क्या रवैया अपनाया है? तमाशा तो यह है कि वह रट लगाए हुए हैं कि "हम तो परमाणु डील पर कटिबद्ध हैं।"  जर्मनी, फ़्रांस और ब्रिटेन के परमाणु डील पर कटिबद्ध होने का क्या मतलब है? कोई उनसे पूछे कि अगर आप इस पर कटिबद्ध हैं तो क्या काम कर रहे हैं? परमाणु समझौते के तहत आपकी क्या ज़िम्मेदारियां हैं? आप किस ज़िम्मेदारी पर अमल कर रहे हैं? यूंही रट लगाए हुए हैं कि " हम तो कटिबद्ध हैं, हमतो प्रतिबद्ध हैं।" प्रतिबद्ध होने का क्या मतलब है? (14 मई 2019)

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यूरोप के 11 वादे जो अधूरे रहे

 

यूरोपीय देशों और हमारे बीच जो मुद्दे हैं उनमें समस्या ख़त्म न होने की वजह उनका घमंड है। हमारे आदरणीय विदेश मंत्री के कथनानुसार परमाणु डील के तहत यूरोप की 11 ज़िम्मेदारियां थीं और इन 11 ज़िम्मेदारियों में किसी एक पर भी यूरोप ने अमल नहीं किया। हमने क्या किया? एमटी डील में हमारी जो प्रतिबद्धताएं थीं हमने उनसे बढ़कर अमल किया। अब जब जवाबी क़दम उठाते हुए हमने भी प्रतिबद्धताओं पर अमल करना कम कर दिया है तो उन्हें बड़ी आपत्ति हो गई है किः " अरे! आपने प्रतिबद्धताओं का पालन कम क्यों कर दिया?"

बेशर्मो! तुमने 11 वादे किए थे, किसी एक पर भी अमल नहीं किया तो हम से तुम कैसे मांग कर रहे हो कि हम  अपनी सारी प्रतिबद्धताओं पर अमल करते रहें। अभी तो हमने पालन में कमी करना शुरू किया है। यह सिलसिला यक़ीनन इसी तरह जारी रहेगा। (16 जुलाई 2019)

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इंन्सटेक्स एक वाहियात खिलवाड़ से ज़्यादा कुछ नहीं

 

मई 2018 में जब अमरीका परमाणु समझौते से निकल गया था तो हमने बार बार कहा कि अब यूरोपीय देशों को यह करना चाहिए, वह करना चाहिए! उन्होंने जवाब में कहा कि ठीक है, बस आप तीन महीने इंतेज़ार कीजिए! चार महीने इंतेज़ार कीजिए! चार महीने पूरे हो गए तो कहने लगे कि पांच महीने और इंतेज़ार कर लीजिए! छह महीने इंतेज़ार कर लीजिए! इसी तरह हमें इंतेज़ार करवाते रहे। यानी हमारी अर्थ व्यवस्था को शर्तबद्ध करते रहे। यूरोपीय देशों ने कुछ नहीं किया। उनका नया वाहियात खिलवाड़ था इन्सटैक्स। अलबत्ता इस पर भी अमल नहीं हुआ। इन्सटैक्स का लुब्बेलबाब यह है कि दूसरे देशों के पास ईरान के जो पैसे हैं ईरान वह पैसे यूरोपीय देशों मिसाल के तौर पर फ़्रांस और ब्रिटेन को दे दे। अब वह अपनी मर्ज़ी से जो चीज़ें चाहें ख़रीद कर ईरान को दे दें! अलबत्ता इस पर भी उन्होंने अमल नहीं किया। (31 जुलाई 2020)

क्या उनसे उम्मीद लगाई जा सकती है?

सात देशों के बीच एक समझौता हुआ था। एक तरफ़ ईरान और दूसरी ओर छह देश थे। सब सात देश शामिल थे। एक देश अमरीका तो इससे निकल गया। इस स्थिति में दूसरे देशों की क्या ज़िम्मेदारी थी? यूरोपीय देशों की ज़िम्मेदारी यह थी कि अमरीका के ख़िलाफ़ खड़े होते और कहते कि हम तो अपने वादे के पाबंद हैं। उनकी ज़िम्मेदारी यह थी कि प्रतिबंध पूरी तरह हटाए जाते। मगर वह बहानेबाज़ी और टालमटोल करते रहे और हमसे बार बार यही कहते रहे कि " देखिए! आप हरगिज़ एटमी डील से बाहर मत निकलिए!" जबकि व्यवहारिक रूप से वह ख़ुद डील से बाहर निकल चुके हैं। यहां तक कि ईरान पर उन्होंने नए प्रतिबंध भी लगाए हैं। यह यूरोपीयों का रवैया है। क्या उनसे कोई उम्मीद रखी जा सकती है?