16 मई 2020 - 14:22
अमरीकी कमीशनः कोरोना की वजह से क़ैदियों की रिहाई पर विचार करने के बजाए भारत सरकार सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों को निशाना

यूएस कमीशन फ़ार रिलीजन फ़्रीडम ने भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले मुसलमान सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़तारी पर चिंता जताई है।

यूएससीआईआरएफ ने ट्वीट में कहा है कि कोरोना वायरस की वजह से इस समय जब भारत को क़ैदियों की रिहाई पर विचार करना चाहिए वह मूल अधिकारों के लिए प्रदर्शन करने वालों को निशाना बना रहा है।

संस्था ने विशेष रूप स गर्भवती महिला सफ़ूरा ज़रगर का नाम लिया है जिन्हें दिल्ली में सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के मामले में गिरफ़तार किया गया। ज़रगर पर पुलिस ने आतंकवाद निरोधक धारा के तहत कार्यवाही की है। 27 अप्रैल को सफ़ूरा ज़रगर को आतंकवाद निरोधक क़ानून के तहत जेल भेज दिया गया।

ज़रगर गिरफ़तारी के समय तीन महीने की गर्भवती थीं। वह जामिया मिल्लिया इस्लामिया युनिवर्सिटी में एक रिसर्च फ़ेलो और जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी की मीडिया समन्वयक थीं। उन्होंने पिछले साल दिसम्बर में सीएए के ख़िलाफ़ भरपूर प्रदर्शन का बंदोबस्त किया था।

अमरीकी संस्था की ओर से दूसरे ट्वीट में कहा गया है कि सन 2020 के लिए सालाना रिपोर्ट में कमीशन ने सिफ़ारिश की है कि 2019 के दौरान भारत को उसके योजनबद्ध ढंग से धार्मिक आज़ादी के उल्लंघन पर उन देशों की सूचि में शामिल किया जाए जिनको लेकर गंभीर चिंता रहती है।